नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया है कि राज्यों को जीएसटी कलेक्शन में उनकी हिस्सेदारी नहीं मिल रही है. राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेसी सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि जब जीएसटी को लागू किया गया था तो कहा गया था कि राज्यों को हर 2 महीने में उसके हिस्से का पैसा दे दिया जाएगा लेकिन पिछले करीब 4 महीनों से केंद्र सरकार से वह पैसा राज्य सरकारों को नहीं मिला है और पंजाब सरकार भी उनमें से एक है. इसके चलते राज्य में हालात खराब हो रहे हैं लोगों को पेंशन नहीं दी जा पा रही और लोग सड़कों पर आने लगे हैं.


प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि जब जीएसटी को लागू किया गया था तो हर दो महीने में राज्य सरकारों को पैसा देने की बात थी. लेकिन अभी तक पंजाब सरकार को अगस्त सितम्बर तक का पैसा भी नहीं मिल पाया. पंजाब सरकार को आज की तारीख तक करीब 41,00 करोड़ रुपये मिलने थे पर केंद्र सरकार ने अभी तक पैसा नहीं दिया है.

जानकारों का मानना है कि आर्थिक विकास की रफ्तार में आई सुस्ती के चलते जीएसटी कलेक्शन में गिरावट आ रही है. इसके चलते राज्यों को जीएसटी से होने वाले राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है. इसी वजह से अब केंद्र सरकार भी राज्यों को समय पर जीएसटी में उनके हिस्सेदारी का पैसा देने में आनाकानी करने लगी है. राज्यों की दलील है कि केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें मिलने वाले पैसे में देरी हो रही है. जिसके चलते राज्यों को बजटीय और योजनागत खर्च करने में दिक्कतें पेश आ रही है.

कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में जीएसटी राजस्व बढ़ाने को लेकर बनी राज्यों के एम्पावर्ड कमिटी की बैठक भी हुई थी. इस बैठक में पंजाब, दिल्ली , राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री शामिल हुए थे. बैठक के बाद बैठक में मौजूद इन राज्यों के वित्त मंत्रियों ने एक साझा बयान जारी कर केंद्र सरकार से राज्यों का जीएसटी कंपनसेशन के बकाए के जल्द भुगतान करने की मांग की थी. इसके साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मामले में दखल देने की अपील करते हुए जल्द से जल्द भुगतान कराने की बात भी कही थी.


राज्यों का केंद्र सरकार पर अगस्त और सितंबर महीने का जीएसटी कंपनसेशन बकाया है. ये भुगतान अक्टूबर में ही होना था. जानकारी के मुताबिक अगस्त और सितंबर महीने में ही पश्चिम बंगाल को जीएसटी कंपनसेशन के मद में 15,00 करोड़ रुपये, पंजाब को 21,00 करोड़ रुपये, केरल को 16,00 करोड़ रुपये, दिल्ली को 23,55 करोड़ रुपये मिलने थे. राज्यसरकारों की दलील है कि अब तो नवंबर का महीना भी खत्म होने पर आ गया है और इस हिसाब से आंकड़ा लगभग दोगुना हो रहा है.


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