राम मंदिर ट्रस्ट: ट्रस्टी ट्रस्ट प्रॉपर्टी के नाम पर लोन भी ले सकते हैं- केंद्र सरकार
सरकार ने यह साफ तौर पर कहा है कि ट्रस्ट के सदस्य ट्रस्ट के मौलिक ढांचे को नहीं बदल सकते हैं. माना जा रहा है कि अभी इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ दिन और लग जाएंगे.
नई दिल्ली: श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट का ऑफिस ट्रस्टी चाहे तो बदल सकते हैं. साथ ही इसके ट्रस्टी ट्रस्ट प्रॉपर्टी के नाम पर लोन भी ले सकते हैं लेकिन ट्रस्ट की किसी भी जमीन या प्रॉपर्टी को बेचने का अधिकार नहीं होगा. सरकार ने एक तरह से इस ट्रस्ट को आरंभिक तौर पर 101 रुपये का चंदा भी दिया है. सरकार ने ट्रस्ट को बनाने के लिए 100 रुपये का स्टांप पेपर खरीदा और उसके बाद एक रुपए की राशि पर केंद्र सरकार ने राम जन्म मंदिर निर्माण भूमि की जमीन ट्रस्ट को सौंपी है यानि दान के हिसाब से सरकार ने ट्रस्ट को 101 रुपये का दान दिया है. हालांकि सरकारी तौर कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए यह काम किया गया.
ट्रस्ट के सदस्यों को अपने बीच से ही अध्यक्ष महासचिव और कोषाध्यक्ष के चयन की छूट दी गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि ट्रस्ट के खातों को हर साल किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट की फर्म ऑडिट करे. सरकार ने इस ट्रस्ट के लिए जो नियम कानून बनाए हैं उसमें सदस्यों को ट्रस्ट में वित्तीय फैसले देने की खुली छूट दी गई है. पैसे जुटाने से लेकर वह उसके निवेश करने तक ट्रस्ट के सदस्यों की सहमति से कोई भी फैसला ले सकते हैं, लेकिन सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि इन सदस्यों को ट्रस्ट की अचल संपत्ति को किसी भी स्थिति में बेचने का कोई अधिकार नहीं होगा. जरूरत पड़ने पर वह ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को बैंक में मॉडगेज करा कर उस पर लोन ले सकते हैं.
सरकार ने यह भी कह दिया है कि ट्रस्ट को तीर्थ नगरी के विकास की भी पूरी जिम्मेदारी दी गई है. सरकार ने जो ट्रस्ट के लिए नियमावली जारी की है उसके तहत ट्रस्ट अयोध्या को एक तीर्थ नगरी के रूप में विकसित कर सकेगा. जिसमें धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि यह ट्रस्ट अयोध्या में यात्रियों के रहने के लिए आवासीय परिसर, खाने-पीने के इंतजाम, अयोध्या की परिक्रमा वाले पथ की देखभाल और यात्रियों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी देखेगा. साथ ही ट्रस्ट को अयोध्या में भगवान राम से संबंधित प्रदर्शनी और संग्रहालय आदि भी स्थापित करने की छूट रहेगी.
सरकार ने साफ कर दिया है कि ट्रस्ट को वैसे तो अपने उद्देश्यों को बदलने का पूरा अधिकार दिया गया है और वह अपने नियम और कायदे भी खुद ही तय करेंगे. सरकार ने यह भी कहा है कि ट्रस्ट के सदस्य अपने किराए आदि की वापसी की मांग कर सकते हैं. साथ ही ट्रस्ट के लिए धन जुटाने के लिए वे लोग चंदा नगदी ले सकते हैं. सरकार ने कहा है कि बोर्ड के कामकाज को सही तरीके से चलाने के लिए ट्रस्ट के सदस्यों को लगभग हर तीसरे महीने में बैठक करनी होगी. इस बैठक में ऐसे आधे सदस्यों का रहना अनिवार्य होगा जिन्हें वोट करने की शक्ति प्रदान की गई है. ट्रस्ट द्वारा मंदिर का निर्माण चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से लेकर 2 अप्रैल को राम जन्मोत्सव के बीच शुरू किया जा सकता है.
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