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लॉकडॉउन के दौरान ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर केंद्र सरकार ने जारी की थी चेतावनी, कई राज्यों ने नहीं लिया कोई एक्शन: रिपोर्ट

जम्मू और कश्मीर और झारखंड को छोड़कर लिस्ट में शामिल यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, मिजोरम और नागालैंड ने मार्च महीने में लागू हुए लॉकडाउन के बाद से एक भी इकाई स्थापित नहीं की है, राज्यों की इस निष्क्रियता का ही नतीजा है कि इस अवधि के दौरान बाल तस्करी के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

करीब तीन महीने पहले गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए मानव तस्करी के खिलाफ एडवाइजरी जारी की थी. खासतौर पर कोरोना संक्रमण के कारण लागू हुए लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवारों के बच्चों के लिए ये एडवाइजरी जारी की गई थी. इस एडवाइजरी में साफ-साफ कहा गया था कि जरूरी आधार पर हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई जाए लेकिन एक अंग्रेजी न्यूज पेपर की इस संबंध में की गई  जांच के मुताबिक आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चला कि कोविड हॉटस्पॉट, महाराष्ट्र और यूपी सहित आठ राज्यों और जन्मू कश्मीर में मार्च से इन यूनिट को नहीं बनाया गया है.

यूपी और महाराष्ट्र बुनियादी मानक तक भी नहीं पहुंचे

वहीं रिकॉर्ड की मानें तो यूपी और महाराष्ट्र तो इस ग्रुप के उन छह राज्यों में से हैं जो तकरीबन 10 वर्ष पहले पहली बार किए गए एक बुनियादी मानक तक भी नहीं पहुंच पाए हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक यूपी के 75 जिलों में से सिर्फ 35 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट हैं. जबकि महाराष्ट्र के 36 जिलों में सिर्फ 12 में ही ये यूनिट है.

कई राज्यों में मार्च से नहीं बनी कोई यूनिट

जम्मू और कश्मीर और झारखंड को छोड़कर लिस्ट में शामिल यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, मिजोरम और नागालैंड ने मार्च महीने में लागू हुए लॉकडाउन के बाद से एक भी इकाई स्थापित नहीं की है, राज्यों की इस निष्क्रियता का ही नतीजा है कि इस अवधि के दौरान बाल तस्करी के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. सोमवार को, द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चाइल्डलाइन की 1098 पर कॉल करने वाले अधिकारियों ने राष्ट्रीय हेल्पलाइऩ पर आऩे वाली कॉल को ट्रैक किया. मार्च और अगस्त के बीच बचाव दल और कानूनी एजेंसियों द्वारा 1.92 लाख बचाव करवाए गए. इन 6 महीनों में हेल्पलाइन पर 27 लाख के करीब कॉल आई.

तस्कर अक्सर गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं

6 जुलाए को गृह मंत्रालय के उप सचिव अरुण सोबती द्वारा साइन किए गए पत्र में भी चेतावनी दी गई थी कि, मानव तस्कर अक्सर एक नई नौकरी, बेहतर आय, बेहतर रहने की स्थिति और अपने परिवारों को समर्थन आदि के झूठे ख्वाब दिखाकर लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाते हैं. अपराधियों के ऐसे वादों पर मजबूर लोग भरोसा करने की गलती भी कर बैठते हैं. दुर्भाग्य से कई पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को ये अपराधी अपना आसान शिकार बना लेते हैं. इसमे डीजीपी और मुख्य सचिवों को भी संकेत दिया गया कि ज्यादा समय तक अब धन की कमी को बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

केंद्र सरकार ने जारी किया था फंड

बता दें कि 2010 से 2019 तक राज्यों के 332 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाए जाने के लिए 25.16 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई थी. हाल में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) स्थापित करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में बीएसएफ और एसएसबी जैसे सीमा सुरक्षा बलों के तहत एएचटीयू स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए एक निर्णय लिया गया था. पत्र में कहा गया है कि नए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) स्थापित करने और राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों को कवर करने के लिए निर्भया फंड से 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.बता दें कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की शुरुआत 2006 में की गई थी. प्रत्येक इकाई में आमतौर पर पुलिस और राज्य प्रशासन के सात से 12 प्रशिक्षित कर्मी शामिल होते हैं, और आमतौर पर एक पुलिस अधिकारी इसका नेतृत्व करता है.

लॉकडाउन हटने के बाद बढ़ी तस्करी

नोबेल पुरस्कार विजेता व बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी द्वारा संकट को चिंहित करते हुए 29 अप्रैल को दायर की गई याचिका के बाद  सुप्रीम कोर्ट से जारी दिशा-निर्देशों का गृह मंत्रालय के पत्र में भी अनुसरण किया गया है. बता दें कि याचिका में चेतावनी दी गई थी कि,  “जब लॉकडाउन हटा लिया जाएगा और सामान्य विनिर्माण गतिविधि फिर से शुरू हो जाएंगी है, तो कारखाने के मालिक सस्ते श्रम को नियोजित करके अपने वित्तीय नुकसान को कवर करेंगे, जिनमें सबसे आसान टारगेट होंगें बच्चे। ऐसे में सड़क पर भीख मांगते दिखने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा होगा. वहीं कम उम्र की लड़कियों को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदा और बेचा जाएगा। ”

तुरंट एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स स्थापित किए जाने का आदेश

राज्यों को दिए गए अपने पत्र में गृह मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में लिखा है कि, "राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को तुरंत नए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट स्थापित करने और केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता के साथ अपने राज्य के सभी जिलों में मौजूदा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और इन इकाइयों को कार्यात्मक बनाने की सलाह दी जाती है।

इन राज्यों के प्रशासन अपना कार्य करने में रहे विफल

उत्तर प्रदेश

जिले- 75

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट- 35

मार्च से यूनिट्स-जीरो

इस संबंध में राज्य पुलिस के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि, सात-आठ साल पहले सूबे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की सिर्फ 16-17 इकाइयां थीं. “इन इकाइयों को वाहनों, बुनियादी ढांचे और कार्यबल की जरूरत होती है, और सब कुछ एक बार में प्राप्त नहीं किया जा सकता है, इसलिए हम इन्हे चरणों में विकसित कर रहे हैं. योजना केंद्र पोषित है, और हम उपलब्ध कराए गए संसाधनों के आधार पर संख्या में वृद्धि करते रहेंगे. अधिक क्षेत्रों को कवर करने के लिए, इकाइयों को कभी-कभी एक से अधिक जिले का प्रभार दिया जाता है, और बचे हुए क्षेत्रों को स्थानीय पुलिस द्वारा कवर किया जाता है.

गौरतलब है कि हाल ही में, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल विवाह पर एक स्टडी के प्रारंभिक चरण को शुरू करने के लिए छह जिलों - बहराइच, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, गोंडा, महाराजगंज और पीलीभीत को चुना है.

राज्य - महाराष्ट्र

जिले -36

एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट- 12

मार्च से यूनिट्स-0

अधिकारियों का इस संबंध में कहना है कि राज्य में 47 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट शुरू किए जाने की योजना है, जो शहरों के साथ-साथ 36 जिलों में आयुक्तों को कवर करेगी. वहीं प्रताप दिघावकर, नोडल प्राधिकरण के विशेष आईजी (महिलाओं के खिलाफ अत्याचार निवारण) ने कहा कि, “हमने चार महीने पहले 6 और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा था. केंद्र सरकार द्वारा 4.62 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने के बाद 29 और इकाइयां स्थापित करने के लिए दो और सप्ताह पहले एक और प्रस्ताव भेजा गया था.

राज्य- छत्तीसगढ़

जिले- 29

एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट- 08

मार्च से यूनिट्स- 0

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक साल 2018-19 में स्वीकृत तीन और इकाइयों की स्थापना के लिए काम जारी है. जून 2020 में, केंद्र सरकार ने 16 और इकाइयां स्थापित करने के लिए 3.6 करोड़ रुपये जारी किए हैं. अतिरिक्त महानिदेशक आर के विज के मुताबिक, 'एक नई इकाई स्थापित करना केंद्र सरकार के बजट आवंटन पर निर्भर करता है. हमारे पास 2010-2013 से आठ से अधिक सेट करने के लिए पैसा नहीं है. राज्य की स्वयं की मानव तस्करी विरोधी इकाई तस्करी को रोकने के लिए काम कर रही है.

राज्य- झारखंड

जिले- 24

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स-12

मार्च से यूनिट्स- 4

अनिल पलटा, एडीजी (सीआईडी) ने जानकारी दी कि, जबसे लॉकडाउन लागू हुआ, साहेबगंज, गिरिडीह, लातेहार और गोड्डा में इकाइयाँ स्थापित की गईं. हमने अन्य 12 जिलों में भी एएचटीयू के लिए आवेदन जमा किए हैं. चूंकि अब केवल फंड जारी किए गए हैं, हम उन्हें स्थापित करने पर काम करेंगे.

राज्य- हरियाणा

जिले -22

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट-7

मार्च से यूनिट्स- 0

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि, “हाल ही में, हमें हर जिले को कवर करने के लिए 15 और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मिली है. उन्हें जल्द ही स्थापित किया जाएगा.

राज्य- जम्मू और कश्मीर

जिले-20

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स-8

मार्च से यूनिट्स-1

अधिकारियों ने कहा कि अगस्त में गांदरबल में एक नई इकाई के साथ 7 एएचटीयू चालू हैं.

राज्य- उत्तराखंड

जिले- 13

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स-7

मार्च से यूनिट्स-0

डीजी (कानून और व्यवस्था) अशोक कुमार ने कहा कि शेष छह जिलों में एएचटीयू स्थापित करने के लिए सरकार के पास एक प्रस्ताव है. आखिरी AHTU की स्थापना 2015 में देहरादून, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में की गई थी.

राज्य- नगालैंड

जिले- 12

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स-6

मार्च से यूनिट्स- 0

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य को मौजूदा छह एएचटीयू को अपग्रेड करने और पांच नई इकाइयों के निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई है. अधिकारी ने कहा, "प्रत्येक एचएचटीयू का नेतृत्व जिले के एडिशनल एसपी कर रहे हैं, और पांच महिला पुलिस अधिकारियों सहित 15 पुलिस कर्मी हैं."

राज्य-मिजोरम

जिले-11

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स-6

मार्च से यूनिट्स- 0

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि राज्य द्वारा हाल ही में अधिक केंद्रीय धन प्राप्त करने के बाद सभी जिलों में इकाइयों की स्थापना के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

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