In Depth: मेघालय से हटाया 'अफस्पा', पढ़ें क्या है ये 'काला कानून'
'अफस्पा' लगातार विवादों में बना रहा है. मानवाधिकार समूह भी लगातार इसका विरोध करते रहे हैं. मणिपुर की इरोम शर्मिला को इसके खिलाफ लड़ी गई डेढ़ दशक की उनकी लड़ाई की वजह से आयरन लेडी का नाम मिला. साल 2004 में असम राइफल के जवानों पर मणिपुर की थांगजाम मनोरमा के साथ रेप और हत्या का आरोप लगा था जिसके बाद राज्य की महिलाओं ने इसके विरोध में नग्न प्रदर्शन किया था.
नई दिल्ली/शिलॉंग: पूर्वोत्तर राज्य मेघालय से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट 'अफस्पा' को पूरी तरह हटा लिया गया है, जबकि चीन से सटे पूर्वोत्तर के ही एक और राज्य अरुणाचल प्रदेश में अब यह असम सीमा से लगे आठ थाना क्षेत्रों और पड़ोसी देश म्यांमार से लगे तीन जिलों में ही लागू रहेगा. केंद्र सरकार ने ये जानकारी दी है कि 'अफस्पा' का कानून 31 मार्च से मेघालय के सभी क्षेत्रों से हटा लिया गया है.
आइए, आपको बताते हैं 'अफस्पा' इतिहास और वर्तमान:-
कब और क्यों बना था 'अफस्पा'
इस कानून के खिलाफ डेढ़ दशक से ज़्यादा की लड़ाई लड़ने वाली 'आयरन लेडी' इरोम शर्मिलाइस विवादास्पद कानून को 11 सितंबर 1958 को पास किया गया था. कई दशक पहले जब पू्र्वोत्तर के राज्यों में हो रही पहचान आधारित हिंसा राज्य सरकारों के कंट्रोल से बाहर निकल गई तब इस कानून को पास किया गया और 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में कानून व्यवस्था की कमान पुलिस के साथ-साथ फौज के हाथों में भी सौंपी गई और वो भी अतिरिक्त अधिकार देकर.
क्या है 'अफस्पा'
- ये कानून सेना को 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में कानून व्यवस्था बनाए रखने की ताकत देता है.
- इसके तहत सेना पांच या इससे ज़्यादा लोगों को एक जगह इक्ट्ठा होने से रोक सकती है.
- कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना बल का प्रयोग भी कर सकती है.
- इसके तहत सेना को वॉर्निंग देकर गोली मारने का भी अधिकार है.
- ये कानून सेना को बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत देता है.
- इसके तहत सेना किसी के घर में बिना वारंट के घुसकर तलाशी ले सकती है.
- सेना स्थानीय लोगों के लाइसेंसी हथियार रखने पर बैन भी लगा सकती है.
- इसके तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सबसे नज़दीक के पुलिस थाने के ऑफिसर इंचार्ज के हवाले कर दिया जाता है.
- सेना को ये रिपोर्ट ज़रूर देनी पड़ती है कि गिरफ्तारी के पीछे कौन सी परिस्थितियां वजह रहीं.
क्या होता है 'डिस्टर्ब्ड एरिया' और कैसे लगता है 'अफस्पा'
- 'अफस्पा' के सेक्सन तीन के तहत जिस एरिया को 'डिस्टर्ब्ड एरिया' घोषित किया जा सकता है. उसमें दो अलग पहचान (जाति, धर्म, बोली, नस्ल, क्षेत्र) वाले लोगों के बीच विवाद/हिंसा का माहौल है, तब उसे 'डिस्टर्ब्ड एरिया' घोषित किया जा सकता है.
- केंद्र सरकार, राज्य के राज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल के समकक्ष किसी राज्य या उसके हिस्से को परिस्थितियों के आधार पर 'डिस्टर्ब्ड एरिया' घोषित किया जा सकता है.
- 'अफस्पा' लगाने के लिए सरकार को गैजेट के जरिए नोटिफिकेशन जारी करना पड़ता है.
- 'अफस्पा' उन 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में लगाया जा सकता है जहां कानून व्यवस्था के लिए राज्य पुलिस को फौज की मदद की दरकार होती है.
- आमतौर पर 'अफस्पा' लगाना केंद्र के हाथों में होता है लेकिन ऐसे अपवाद भी रहे हैं जब केंद्र ने राज्य के हाथ में 'अफस्पा' लगाने का फैसला छोड़ दिया है.
किन राज्यों में लगा था या लगा है 'अफस्पा'
- नागालैंड, असम और मणिपुर में ये अब भी पूरी तरह से लागू है.
- मणिपुर की राजधानी इंफाल के सात विधानसभा क्षेत्र इसका अपवाद हैं.
- ये अब अरुणाचल प्रदेश और इसके आप-पास के 11 थाना क्षेत्रों तक सिमटकर रह जाएगा.
- त्रिपुरा ने साल 2011 में अपने यहां से 'अफस्पा' को समाप्त कर दिया.
- जम्मू-कश्मीर में भी 'अफस्पा' लागू है.
इरोम शर्मिला से थांगजाम मनोरमा तक रही हैं 'अफस्पा' का शिकार
'अफस्पा' लगातार विवादों में बना रहा है. मानवाधिकार समूह भी लगातार इसका विरोध करते रहे हैं. मणिपुर की इरोम शर्मिला को इसके खिलाफ लड़ी गई डेढ़ दशक से ज़्यादा की उनकी लड़ाई की वजह से आयरन लेडी का नाम मिला. इरोम ने अपनी डेढ दशक की भूख हड़ताल उस घटना के बाद शुरू की थी जिसमें मणिपुर के मालोम में एक बस स्टॉप पर बस के इंतज़ार में खड़े 10 लोगों को मार दिया गया था.
वहीं साल 2004 में असम राइफल के जवानों पर मणिपुर की थांगजाम मनोरमा के साथ रेप और हत्या के आरोप लगे थे जिसके बाद राज्य की महिलाओं ने इसके विरोध में नग्न प्रदर्शन किया था. ऐसे कई मिसालें हैं जिससे पता चलता है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल खूब हुआ है.