Jammu-Kashmir: कुछ समय पहले जम्मू के एक वकील आदित्य शर्मा ने चुनाव आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिप्रेजेंटेशन दी थी. इसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के लिए आरक्षित 24 सीटों में से 8 सीटों को डि-फ्रीज करने की बात कही गई थी. अब इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या जम्मू कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव में यहां रह रहे पीओके (PoK) से आए लोगों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. 


दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा की यह 24 सीटें PoK के नागरिकों, जो इस समय जम्मू में रह रहे हैं और इनके अलावा पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी और बाकी समुदायों के लिए आरक्षित रखी गई है. इस रिप्रेजेंटेशन में यह भी कहा गया है कि इन 8 सीटों पर अगर चुनाव किए जाते हैं या फिर इन 8 सीटों के लिए इन रिफ्यूजियों या इन समुदायों से लोगों को मनोनीत किया जाता है तो इससे उनकी समस्याओं को बेहतर ढंग से हल करने में मदद मिलेगी. 


भारत सरकार के विचाराधीन हैं सिफारिशें


हाल ही में जम्मू कश्मीर में पूरी की गई परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान परिसीमन आयोग को कुछ ऐसी ही सिफारिशें मिली थी, जिन्हें आयोग में मान लिया था. परिसीमन आयोग ने इन सिफारिशों को मानने के बाद इन सिफारिशों को चुनाव आयोग को विचार के लिए भेज दिया था. आदित्य शर्मा का दावा है कि चुनाव आयोग ने इन सिफारिशों को जस के तस भारत सरकार को भेजा है और फिलहाल यह सिफारिशें भारत सरकार के विचाराधीन है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत सरकार जल्द ही इन सिफारिशों पर अपना फैसला सुनाएगी. 


370 हटने के बाद मिला वोट डालने का अधिकार 


बता दें कि, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने से पहले इन रिफ्यूजियों और इन समुदाय को प्रदेश में वोट डालने तक का अधिकार नहीं था. अब जबकि प्रदेश से धारा 370 खत्म हो गई है तो ऐसे में न केवल जम्मू-कश्मीर में रह रहे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को बल्कि पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी और वाल्मीकि समाज को भी वोट डालने का हक है. आदित्य मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनाव में न केवल यह रिफ्यूजी और अब तक वोटिंग से वंचित रहे यह समाज वोट डालेंगे बल्कि अगर केंद्र सरकार इन 8 सीटों पर चुनाव कराती है या इन पर इन समुदायों से लोगों को मनोनीत करती है तो यह केंद्र सरकार का इन लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा होगा. 


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