CBI, ED Chiefs Tenure: केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुख को लेकर सरकार के अध्यादेश पर नौकरशाही में छिड़ी बहस
CBI, ED Chiefs Tenure: केन्द्र सरकार के नये अध्यादेश मे जनहित की बात कह कर सीबीआई और ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक किए जाने पर मोहर लगाई गई है
Extension Of CBI-ED Tenures: केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यकाल को 5 साल करने के सरकार के अध्यादेश के बाद नौकरशाहों के बीच बहस छिड़ने की संभावना दिख रही है. ईडी निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को लेकर केन्द्र सरकार नया आदेश जारी कर सकती है. केन्द्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर ईडी औऱ सीबीआई निदेशक कार्यकाल पांच साल तक रहने का आदेश जारी किया था. इस अध्यादेश को लेकर नौकरशाह भी दो गुटो मे बंटे नजर आ रहे है. इसके पहले सीबीआई लगातार सीबीआई निदेशक के पद को पांच साल तक के लिए किए जाने की गुजारिश औऱ सिफारिश करती रही है जिसे केन्द्र सरकार लगातार मना करती आ रही थी.
सीबीआई और ईडी निदेशक का कार्यकाल 5 साल
केन्द्र सरकार के नये अध्यादेश मे जनहित की बात कह कर सीबीआई और ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक किए जाने पर मोहर लगाई गई है. यह बात दीगर है कि सरकार ने इस कार्यकाल की लगाम अपने हाथ मे रखी है औऱ सरकार दो साल की नियत पोस्टिंग के बाद अगर चाहेगी तो संबंधित अधिकारी का कार्यकाल एक एक करके तीन साल तक बढ़ा सकती है. सरकार के इस अध्यादेश को लेकर नौकरशाही मे ही बहस छिड गई है. पांच साल के इस अध्यादेश को लेकर सरकार की वरिष्ठ नौकरशाही कैमरे पर तो बोलने को तैयार नही हैं लेकिन कुछ का मानना है कि इस कदम से बडे मामलों और बडे मगरमच्छों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी वहीं कुछ का मानना है कि सरकार अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे की तर्ज पर काम कर रही है और नौकरशाही को स्पष्ट संदेश दे रही है कि जो उनकी सुनेगा वो रिटायरमेंट के बाद भी सरकार में रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी टिप्पणी
माना जा रहा है कि इस अध्यादेश के पीछे वर्तमान ईडी निदेशक संजय मिश्रा का 19 नवंबर को खत्म होने वाला कार्यकाल है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक के रिटायरमेंट के बाद कार्यकाल बढ़ाये जाने पर कड़ी टिप्पणी की थी और माना जा रहा था कि सुप्रीम अदालत की टिप्पणी के बाद संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाया नहीं जा सकता. ध्यान रहे कि ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत छापेमारी कर गिरफ्तारी करने और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी मिला हुआ है ऐसे मे आरोप भी लगे हैं कि सरकार ईडी और सीबीआई को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती है. ध्यान रहे कि ईडी इस समय अनेक अहम मामलो की जांच कर रही है जिनमें मुंबई का 100 करोड वसूली कांड. 2 जी घोटाला...महाराष्ट्र सहकारी बैक घोटाला.....उप्र. का गोमती रिवर फ्रंट घोटाला...कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार केस..राबर्ट वाड्रा केस....कोलकाता कोल घोटाला, वीआईपी हेलीकाप्टर घूसकांड, पंजाब ड्रग केस, एवियेशन घोटाला, एसोसिएट जर्नल केस आदि शामिल हैं.
बराबरी का मौका न मिलने पर हो सकती है नाराजगी
केन्द्र सरकार के सूत्रो के मुताबिक सरकार ने पांच साल का कार्यकाल तो बना दिया लेकिन नीचे के अधिकारियो के प्रमोशन को लेकर सरकार कोई नई नीति नहीं बनाने जा रही है ऐसे में इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि जिन अधिकारियों को बराबरी का मौका नहीं मिलेगा वो अपनी सेवाओं को लेकर खासे उदासीन हो सकते हैं. माना जा रहा है कि ईडी निदेशक के कार्यकाल के समाप्त होने के पहले सरकार इस अध्यादेश के मद्देनजर नया आदेश जारी कर सकती है फिलहाल इस मामले को लेकर विपक्ष भी आक्रामक हो गया है औऱ इसका असर आने वाले संसद सत्र मे देखने को मिल सकता है.