Delhi News: केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि गिद्धों के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं और वन्यजीवों और उनके रहने के स्थानों के संरक्षण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है.


पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि भारत में गिद्ध संरक्षण के लिए कार्य योजना (2020-2025) उसने जारी की है. मंत्रालय ने एक याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर कर यह बातें कही हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुछ पशु चिकित्सा दवाओं के उपयोग के कारण गिद्धों की संख्या कम हो रही है.


गिद्धों की संख्या में 99.9 प्रतिशत की गिरावट आई हैं


याचिका में कहा गया है कि, "बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार सफेद पीठ वाले गिद्धों और लंबी चोंच वाले गिद्धों की संख्या में साल 1991-93 और 2000 के बीच 92 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई हैं. एक और अध्ययन के अनुसार साल 2007 तक सफेद पीठ वाले गिद्धों और लंबी चोंच वाले गिद्धों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से 99.9 प्रतिशत की गिरावट आई हैं."


हमारे इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है गिद्ध


बता दें कि दुनिया के मुकाबले भारत में गिद्धों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है. गिद्ध एक ऐसा पक्षी है. जिसको हमारे इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. गिद्ध मरे हुए जीवों और जानवरों के शवों को खाकर पर्यावरण को मृत जानवरों के शरीर से होने वाले खराब प्रभाव से बचाते है. ऐसे में उनकी कम हो रही संख्या एक चिंता ता विषय है. पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल, में गिद्धों की संख्या कम हो रही है. इसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है.


 2006 में दवा पर लगा दिया था बैन


गिद्धों की आबादी के बारे में 90 के दशक से काफी चर्चा हो रही है.साल 2024 में इनकी संख्या कम होने का कारण डाइक्लोफेनेक को माना गया था.विशेषज्ञों का मानना था कि जानवरों के लिए प्रयोग में की जाने वाली इस जहरीली दवा का प्रभाव गिद्धों के मरने की वजह बन रहा था.इसलिए 2006 में इस दवा पर बैन लगा दिया गया था.


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