Central Government Issue Notice to Wikipedia: भारत सरकार ने विकिपीडिया को नोटिस भेजा है. सरकार ने इस नोटिस की मदद से विकिपीडिया का ध्यान उसके प्लेटफॉर्म पर मौजूदा पक्षपातपूर्ण कंटेंट और गलतियों की ओर भी दिलाया है. सरकार ने उसे लेकर मिल रही कई शिकायतों के बारे में भी बताया है. 


सरकार ने अपने नोटिस में कंपनी को संपादकीय नियंत्रण रखने वाले एक छोटे समूह की ओर इशारा किया और पूछा कि विकिपीडिया को मध्यस्थ के बजाय प्रकाशक क्यों नहीं माना जाना चाहिए. ऐसा प्रकाशक जो सभी स्रोतों के लिए जिम्मेदार हो.


नोटिस में कई गलत जानकारी और शिकायतों का किया जिक्र


सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस नोटिस में विकिपीडिया को वेब पेज पर पक्षपात और गलत जानकारी की कई शिकायतों के बारे में भी बताया है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से भेजे गए लेटर में ये भी कहा गया है कि एक राय है कि एक छोटा समूह इसके पेज पर संपादकीय नियंत्रण रखता है. विशेष रूप से, विकिपीडिया खुद को एक फ्री ऑनलाइन एनसााइक्लोपीडिया के रूप में बताता है, जहां लोग खुद किसी मुद्दे या विषय पर जानकारी डालते हैं और उसे एडिट भी कर सकते हैं.


पिछले दिनों एक और विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट में हुई थी पेशी


पिछले दिनों विकिपीडिया और एएनआई के बीच चल रहे मानहानी केस में सुनवाई हुई थी. विकिपीडिया ने 28 अक्टूबर 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि वह एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) के बारे में पेज एडिट करने वाले यूजर्स की जानकारी जल्द उपलब्ध कराएगा. न्यूज एजेंसी की ओर से दायर मानहानि के मामले में विकिपीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ को बताया था कि प्लेटफॉर्म उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक जानकारी के आधार पर यूजर्स को समन भेजने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा.


क्या है एएनाई और विकिपीडिया का पूरा विवाद


इस मामले में कानूनी विवाद तब सामने आया जब ANI ने इस प्लेटफॉर्म पर अपने बारे में कथित रूप से मानहानिकारक बातें देखीं. इसके बाद एएनआई ने विकिपीडिया पर मानहानिकारक एडिटिंग की अनुमति देने के लिए मुकदमा दायर किया. दरअसल, विकिपीडिया के पेज पर समाचार एजेंसी की प्रचार उपकरण के रूप में कार्य करने के लिए आलोचना की गई थी. एएनआई को मौजूदा सरकार के लिए 'प्रोपगैंडा टूल ' के रूप में बताया गया था. 20 अगस्त को ही सुनवाई में न्यायालय ने विकिपीडिया को दो सप्ताह के अंदर पेज एडिटर के बारे में जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया था. आरोप है कि विकिपीडिया ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद एएनआई ने फिर से पेज एडिट करने वालों की डिटेल को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया.


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