नई दिल्लीः कश्मीर बीते तीन दिनों से कुछ ज्यादा ही चर्चा में है. कश्मीर के कुछ कपूत ऐसे हैं जो ईद जैसे पाक त्योहार के मौके पर भी पाकिस्तान की शह पर पापी बन जाते हैं. इनके लिए ईद या किसी खास दिन का कोई महत्व नहीं और ये अपने नापाक कदमों से घाटी की फिजा खराब करने का काम करते हैं.
कश्मीर में गाड़ी पर पत्थर, डंडे बरसाए
ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि कश्मीर से आ रही अलग-अलग तस्वीरों में कहीं ऐसे लोग सुरक्षा बलों की सफेद गाड़ी पर पत्थर फेंक रहे हैं और कहीं बख्तरबंद गाड़ी के सामने खड़े होकर डंडे और पत्थर चला रहे हैं. वहीं एक और घटना में कश्मीर की सड़कों पर नकाबपोश पत्थरबाज दहशत का माहौल बना रहे हैं लेकिन सेना के जवान सब्र के साथ इनका मुकाबला करने में जुटे हैं . इस घटना में ड्राइवर ने सब्र से काम लिया और गाड़ी को यहां से निकाल लिया नहीं तो गाड़ी की चपेट में एक दो पत्थरबाज भी आ सकते थे. ये काम कर रहे कश्मीर के भटके हुए वो नौजवान हैं जिन्होंने अपना वर्तमान और भविष्य आतंकियों के हाथों गिरवी रख दिया है .
श्रीनगर में पत्थरबाजी
इतना ही नहीं राजधानी श्रीनगर में भी ईद की नमाज के बाद अमन के ये दुश्मन देशद्रोही आकाओं के बहकावे में आकर पत्थरबाजी करने लगे और इनके हाथ में पाकिस्तान का झंडा भी पाया गया. किसी के हाथ में आतंकी संगठन जैश का तो किसी के हाथ में आईएस का झंडा देखा गया. साफ है कि आतंकियों के समर्थन में झंडा लहराने वाले और पत्थर बरसाने वाले ये लोग किसी आतंकी से कम नहीं हैं. सेना के जवानों ने इन लोगों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस का गोला छोड़ा लेकिन तब भी ये लोग नहीं माने.
अनंतनाग में पत्थरबाज की मौत
अनंतनाग में रोड पर पत्थरबाजों की भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाबल जवानों ने फायरिंग की तो गोली लगने से सिराज अहमद नाम के एक शख्स की मौत हो गई . बवाल और पत्थरबाजी की तस्वीरें राज्य के और भी कई इलाकों से आई हैं जो साबित करती हैं कि जम्मू-कश्मीर में कुछ कपूतों की वजह से पूरे राज्य के बाशिंदों के लिए संदेह की छवि बन जाती है.
आंकड़ों से देखें तो कश्मीर को मिल रही है बड़ी तवज्जो
साल 2000 से 2016 तक केंद्र से जम्मू कश्मीर को 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये मिले. राज्य के एक नागरिक पर केंद्र का खर्च 91 हजार 300 रुपये है जबकि इसी दौरान यूपी के एक शख्स पर केंद्र ने 4300 रुपये खर्च किए हैं. इस दौरान केंद्रीय मदद का 10 फीसदी हिस्सा जम्मू कश्मीर को मिला जबकि आबादी 1 फीसदी है. वहीं देश की कुल आबादी का 13 फीसदी यूपी में रहता है जहां केंद्र ने 8.2 फीसदी की मदद की.
ऐसे में ये सवाल उठता है कि जब केंद्र सरकार, राज्य सरकारें जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य के दर्जे के साथ साथ अच्छी खासी इमदाद भी मुहैया करा रही हैं तो वहां के लोग इतना असंतोष क्यों दिखाते हैं. आतंकियों के जनाजे में जाकर शामिल होते हैं. पत्थरबाजी कर सेना को, राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर भी ये उम्मीद करते हैं कि उनके ऊपर सख्ती न बरती जाए तो ऐसा होना तो संभव नहीं दिखता.