Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूरे देश के स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था करने का निर्देश दिए हुए 12 साल से अधिक का समय हो चुका है. इसके बावजूद सिर्फ गोवा, दिल्ली, चंडीगढ़ और पुडुचेरी ही पूरी तरह से इस आदेश का पालन कर रहे हैं. पूर्वोत्तर के राज्य और जम्मू-कश्मीर इस आदेश को लागू करने वाले स्कूलों के राष्ट्रीय औसत (98 फीसदी) से पीछे हैं. इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश और बिहार के स्कूलों की स्थिति भी काफी बेहतर बताई गई है.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने मांगा जवाब


सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में पहली बार, फिर साल 2012-2014 में और उसके बाद समय-समय पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध कराने का निर्देश देता रहा. कोर्ट का मानना था कि स्कूलों में ऐसी सुविधा लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करती है. इसके बाद जया ठाकुर नाम की कार्यकर्ता ने स्कूलों में शौचालय सुविधाओं की उपलब्धता और छात्राओं को सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसपर कोर्ट ने रिपोर्ट मांगा था. 


इसके बाद एक हलफनामे में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि पूरे भारत में 97.5 फीसदी स्कूलों (सरकारी, सरकार सहायता प्राप्त, और प्राइवेट) ने लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध कराए हैं.


क्या है यूपी के स्कूलों का हाल?


देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्‍य उत्तर-प्रदेश को लेकर अगस्त 2024 मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें पता चला था कि यूपी में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है. अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कोर्ट को बताया कि यूपी के 98.8 स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय है.


अलग शौचालय को लेकर राज्य दर लिस्ट


केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि पश्चिम बंगाल में 99.9 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध कराए गए. केंद्र ने जवाब में कहा, "उत्तर प्रदेश में 98.8 फीसदी, तमिलनाडु में 99.7 फीसदी, सिक्किम में 99.5 फीसदी, केरल 99.6 फीसदी, गुजरात, छत्तीसगढ़ और पंजाब में 99.6 फीसदी, कर्नाटक में 98.7 फीसदी, मध्य प्रदेश में 98.6 फीसदी, महाराष्ट्र 97.8 फीसदी, राजस्थान 98 फीसदी, बिहार 98.5 फीसदी और ओडिशा में 96.1 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं."


इस मामले में पूर्वोत्तर का राज्य पीछे हैं. मेघालय में 81.8 फीसदी, मणिपुर में 87 फीसदी, असम में 88.5 फीसदी, त्रिपुरा में 91.5 फीसदी, नागालैंड में 90.6 फीसदी, मिजोरम में 93 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में 91.4 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय है.


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