Indian Railway: मुंबई (Mumbai) में बड़ी संख्या में बिछड़े हुए बच्चों की रिपोर्ट सामने आ रही है. सेंट्रल (Central) और वेस्टर्न रेलवे (Western Railway) ने एक साल में ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत करीब 1200 बच्चों को उनके मां बाप से मिलाया है. पश्चिम रेलवे ने मुंबई में पिछले सात महीनों में 478 बिछड़े हुए बच्चों का बचाया था. मध्य रेलवे ने कुल 745 बच्चों को बचाया है.


मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि वह उन सभी लोगों का धन्यवाद अदा करते हैं जिन्होंने इस मुहिम के तहत नेक काम किया और बच्चों को अपने माता पिता से मिलवाया. उन्होंने कहा कि इस काम में रेलवे सुरक्षा बुला, सरकारी रेलवे पुलिस, स्टेशन मास्टर और कई एनजीओ भी शामिल होते हैं. मध्य रेलवे ने पिछले 6 महीनों में 5 मंडलों से 745 बच्चों को रेस्क्यू किया है.


कहां से रेस्क्यू किये गये सर्वाधिक बच्चे?
सबसे अधिक 381 बच्चे मुंबई में रेस्क्यू किये गये हैं. जिनमें 270 लड़के थे और कुल 111 लड़कियां थी. वहीं महाराष्ट्र के बुसवाल में 139, पुणे में 136, नागपुर में 56, सोलापुर में 34 महिलाएं है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर बच्चे घर से भाग कर आते हैं. उनके घर छोड़ने की वजह या तो पारिवारिक झगड़ा होता है या फिर मुंबई शहर के लिए आकर्षण. यही वजह है मुंबई में देश के अलग-अलग जगहों से आये हुए बच्चे पाये जाते हैं. 


मध्य रेलवे के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर चाइल्ड लाइन सेवा केंद्र बनाया गया है जहां अभिभावक अपने बिछड़े हुए बच्चों से मिलने के लिए बेताब नजर आए. अपने घर से भागे हुए एक बच्चे के पिता विनोद राम ने एबीपी न्यूज से कहा कि उनके बच्चे की उम्र 12 साल है और वह 6 अप्रैल को बिहार के गांव से लापता हो गया. 


चाइल्ड लाइन कैसे बांट रही है खुशियां?
उनके माता पिता ने बच्चे को ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन बच्चा नहीं मिला जिस वजह से वह निराश हो गये लेकिन फिर चाइल्ड लाइन ने उनको कॉल करके खुशखबरी दी और उनको बताया कि उनका बेटा मिल गया है. उनके बेटे ने मां से झगड़ा करने के बाद घर छोड़ दिया था. रेलवे पुलिस की सब इंस्पेक्टर पल्लवी ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि उनको जो बच्चा मायूस और शांत नजर आता है आरपीएफ की टीम उनसे बात करती है और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करती है. 


पुलिस कर्मियों को दी जाती है बच्चों को समझने की ट्रेनिंग?
सब इंस्पेक्टर अनुराधा ने बताया कि इसके लिए उनको स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे पुलिस कर्मी बच्चों के हाव-भाव को समझें. जब कोई बच्चा डरा हुआ होता है तो उन बच्चों से अधिकतर महिला पुलिस बातचीत करती हैं ताकि बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. वहीं पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने एबीपी न्यूज को बताया की उनका यह काम रेलवे सुरक्षा बल, सरकारी रेलवे पुलिस, और कई लोगों की मदद से किया जाता है. 


पश्चिम रेलवे ने टेक्नोलॉजी की मदद से कई बच्चों को रेस्क्यू किया है. जहां मुंबई सब-अर्बन में 2600 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गये हैं. उन्होंने कहा कि हम नजर रखते हैं कि अगर कहीं कोई बच्चा अकेला है, परेशान है तो हम उससे पूछताछ करते हैं और फिर एनजीओ की मदद से उनको उनके माता पिता से मिलवाते हैं.  


अब तक कितने बच्चों को रेस्क्यू कर चुकी है पश्चिमी रेलवे?
पश्चिमी रेलवे (Western Railway) अब तक 487 बच्चों को रेस्क्यू कर चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा बच्चे मुंबई (Mumbai) से रेस्क्यू किये गये हैं. मुंबई में सबसे अधिक 181 बच्चे रेस्क्यू किये गये हैं. वडोदरा में 63, रतलाम में 102 ,अहमदाबाद में 80, राजकोट में 52, भावनगर में कुल 9 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है.


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