सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार की ऐसी मशीन जो भरेगी सड़कों के गड्ढे
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सड़कों के गड्ढे भरने की अगर बात चल रही है तो अभी भी भारत में मैन्युल तरीके से ही पोटहोल्स यानि सड़कों के गड्ढों को भरा जाता रहा है. मगर इसमें काफी समय लगता है और बाद में ये गढ्ढे फिर से उभर आते हैं. इसीलिए सड़कों के गड्ढे भरने के लिए सीएसआईआर की दिल्ली स्थित सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) लैब ने एक मशीन तैयार की है जिससे गढ्ढों को जल्द भरा जा सकेगा.
मेक इन इंडिया के तहत राजधानी दिल्ली स्थित सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने 'पोटहोल रिपेयर मशीन' तैयार की है. इस मशीन के उत्पादन के लिए पांच कंपनियों को लाईसेंस दे दिया गया है. दो कंपनियों ने मशीन बनानी शुरू कर दी है और जल्द ही मार्केट में आने वाली है. एबीपी न्यूज पहली बार आपको इस मशीन की तस्वीर दिखाने जा रही है.
सीआरआरआई के निदेशक सतीश चंद्रा ने एबीपी न्यूज को बताया कि दुनियाभर में सड़क के गड्ढे भरने को तीन-चार तरीके होते हैं. पहला है किसी मिक्स-प्रोसेस यानि किसी जगह पर छोटा सा प्लांट या फिर किसी ड्रम में मिक्सचर तैयार किया है और उससे गड्ढे भर दिए. इसमें बिटयुमैन यानि कोलतार और दूसरे सामान को मिक्स कर देते हैं. उसके साथ गड्ढे में मिट्टी और पेड़ की टहनियां डाल देते हैं. ये हमारे देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. दूसरा है बने-बनाए मिक्सर बैग्स से गढ्ढों को भरना और तीसरा है मशीन के जरिए.
भारत में अभी तक पहला ही प्रोसेस इस्तेमाल किया जाता रहा है. हालांकि, गाजियाबाद डेवलपमेंट एथोरिटी ने हाल ही में विदेश से एक मशीन मंगाई थी. लेकिन इन मशीन की कीमत करीब ढाई-तीन करोड़ रूपये है. और इस मशीन से गड्ढे भरने की लागत हमारे नेशनल हाईवे के गड्ढे भरने से भी कई गुना ज्यादा है.
सतीश चंद्रा के मुताबिक, अब सीआरआरआई ने स्वदेशी मशीन तैयार कर ली है जो विदेशी मशीन के मुकाबले काफी सस्ती है.
मशीन की डिजाइनिंग में अहम भूमिका निभा चुके सीआरआरआई के साईंटिस्ट, मनोज कुमार शुक्ला के मुताबिक, ये मशीन मात्र 20-25 लाख रूपये की पड़ेगी. साथ ही ये मैन्युल के मुकाबले काफी कम समय में ज्यादा गड्ढे भर सकती है. इसके अलावा इससे गड्ढे काफी लंबे समय तक सही रह सकते हैं.