अब तक सुरक्षा एजेंसियों के पास थी ये ताकत, केंद्र सरकार के आदेश के बाद अब गृह सचिव भी ले सकेंगे एक्शन
Centre Amends IT Rules: विपक्षी दल सरकारों पर उनके नेताओं की जासूसी का आरोप लगाते रहे हैं. पिछले साल भी विपक्षी नेताओं ने आईफोन में जासूसी के आरोप लगाए थे.
IT Rules: केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्यौगिकी (आईटी) नियमों में संसोधन करते हुए गृह सचिव और अन्य नौकरशाहों को इंटरशेप्शन के डिजिटल रिकॉर्ड्स को नष्ट करने की पावर देने का आदेश जारी किया है. कॉल इंटरसेप्ट को विनियमित करने के लिए बनाए गए 2009 के नियमों के तहत अब तक यह पावर केवल सुरक्षा एजेंसियों के पास थी. फिर साल 2018 में गृह मंत्रालय ने वैधानिक आदेश जारी करके कम्युनिकेशन में जासूसी के लिए ईडी और आईबी समेत 10 एजेंसियों को अधिकार दिया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इन एजेंसियों को 6 महीने के भीतर इंटरसेप्ट ऑर्डर नष्ट करने की जरूरत होती थी. 26 फऱवरी को केंद्र के आदेश के बाद इस पावर को गृह सचिव तक बढ़ा दिया गया. वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव के बाद डिजिटल सबूतों को नष्ट करने के निर्देश जारी करने की केंद्र की पावर और व्यापक हो जाएगी.
सरकारी निगरानी के आरोप भारत में नए नहीं
राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सरकारी निगरानी के आरोप भारत में नए नहीं हैं. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता जब 2012 में विपक्ष में थीं तो उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार पर उनके फोन टैप करने का आरोप लगाया था. इसके अलावा राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धुर विरोधी सचिन पायलट के एक प्रमुख अधीनस्थ ने इसी तरह आरोप लगाया कि 2020 में पायलट के फोन और गतिविधियों को "ट्रैक" किया गया था.
पेगासस की पावर
इंटरसेप्ट आदेशों के परे, पेगासस को लेकर भी केंद्र सरकार पर विपक्ष आरोप लगाता रहा है. इस सॉफ्टवेयर की क्षमता फोन कॉल इंटरसेप्ट से कहीं ज्यादा है. ये सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन का पूरा डेटा निकाल सकता है, टारगेट के माइक्रोफोन पर रियल टाइम में सुना जा सकता है और कैमरों तक भी पहुंच रखता है. केंद्र सरकार ने पेगासस खरीदने से इनकार नहीं किया है और इंपोर्ट डेटा से पता चलता है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 2017 में स्पाइवेयर चलाने के लिए हार्डवेयर खरीदा था.