नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्की की बड़ी मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है. रमजान के दौरान सुरक्षाबलों को कोई ऑपरेशन ना लॉन्च करने के निर्देश दिए गए हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फैसले की जानकारी मुख्यमंत्री महबूबा मुफती को दे दी है. केंद्र सरकार की ओर से तकनीकि रूप से सीज़फायर नहीं बल्कि नॉन इनिशिएशन ऑफ कॉम्बेट ऑपरेशन (NICO) का नाम दिया है.
फैसले में कुछ शर्तें भी लागू हैं
हालांकि इस दौरान अगर कोई हमला होता है तो सामान्य नागरिकों की जान बचा के लिए सुरक्षाबलों को पलटवार का अधिकार रहेगा. इसके साथ ही सेना की सामान्य पेट्रोलिंग जारी रहेगी. सरकार का फैसला सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही लागू होगा, यह एलओसी पर लागू नहीं होगा.
फैसले के पीछे सरकार की क्या उम्मीद है?
सरकार ने उम्मीद जताई है कि मुहिम में सहयोग करेंगे जिससे मुस्लिम भाई-बहन बिना किसी तकलीफ के रमजान मना सकें. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि उन लोगों की पहचान करना जरूरी है जो हिंसा औऱ आतंक सहारा लेकर इस्लाम को बुरा बनाते हैं.
महबूबा मुफ्ती ने किया फैसला के स्वागत
मोदी सरकार के 'सीज़फायर' के फैसले का मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने स्वागत किया. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ''रमजान में सीफायर के फैसले का मैं दिल से स्वागत करती हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद देना चाहती हूं. सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी नेताओं और पार्टियों के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करती हूं.''
महबूबा मुफ्ती ने क्या अपील की थी?
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सभी दलों की बैठक बुलाकर केंद्र से घाटी में रमजान और अमरनाथ यात्रा के लिए एकतरफा सीजफायर की मांग की थी. इस बैठक के बाद सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''हम सभी को भारत सरकार से अपील करनी चाहिए कि रमजान के मुबारक मौके पर और अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पर जैसे साल 2000 वाजपेयी जी ने सीजफायर किया था उसी तरह का कोई कदम उठाए. इससे आम लोगों को थोड़ी रिलीफ मिले. इस वक्त जो एमकाउंटर हो रहे हैं, सर्च ऑपरेशन हो रहे हैं, उसमें आम लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है. हमें ऐसे कम उठाने चाहिए जिससे लोगों का विश्वास बहाल हो.''
क्या होता है सीजफायर?
आतंकियों या सीमा पर जब सेना कार्रवाई नहीं करती है उसे सीजफायर या युद्धविराम कहते हैं. सीजफायर में सुरक्षाबल पहले कार्रवाई नहीं करते हैं. जिस तरफ से पहले गोलीबारी होती है उसे सीजफायर उल्लंघन कहते हैं. ॉ
नवंबर 2000 में वाजपेयी सरकार ने सीजफायर का एलान किया था. रजमान की वजह से घाटी में सीजफायर का एलान किया गया था. उस समय कहा गय था कि रमजान में घाटी में सुरक्षाबलों की कार्रवाई से लोगों को परेशानी होती है.
इस दौरान सुरक्षाबलों को कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया गया था. आतंकी हमला होने पर कार्रवाई की पूरी छूट मिली थी. रमजान-अमरनाथ यात्रा की वजह से फिर सीजफायर की मांग उठ रही है.