Monkeypox Cases: देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले बढ़ते देख केंद्र सरकार (Central Government) ने हाई-लेवल मीटिंग की. मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. मंत्रालाय ने कहा है कि 34 साल का एक संदिग्ध मरीज दिल्ली (Delhi) के लोकनायक अस्पताल (LNJP) में भर्ती है. मरीज के डायग्नोसिस की पुष्टि पुणे (Pune) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने की है. मरीज के संपर्क में आने वाले सभी लोगों की पहचान की जा रही है. फिलहाल मरीज लोकनायक अस्पताल में भर्ती है और रिकवर कर रहा है.


मंकीपॉक्स का ताजा मामला सामने आने के बाद शनिवार को इस मरीज का सैंपल पुणे के एनआईवी भेजा गया था जो जांच के बाद पॉजिटिव आया. दावा किया जा रहा है कि ये मरीज हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मनाली में एक पार्टी में शामिल हुआ था. हालांकि अभी इसकी ट्रैवल हिस्ट्री नहीं निकली है. दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद राजधानी में डर का माहौल बन गया है.


दिल्ली सीएम ने कहा डरने की जरूरत नहीं


इन सब के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में भर्ती मरीज की स्थिति स्थिर है और ठीक हो रहा है. वो ठीक हो रहा है स्थिति नियंत्रण में है. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने लोकनायक अस्पताल में स्पेशल आइसोलेशन वार्ड बनाया है. हमारी बेस्ट टीम दिल्लीवासियों में मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए काम कर रही है.


भारत में 14 जुलाई को मिला पहला केस


इस वायरस (Monkeypox) का पहला मरीज 14 जुलाई को केरल (Kerala) के कोल्लम में मिला था. वहीं दूसरे मरीज की पहचान 18 जुलाई और तीसरे मरीज की पहचान 25 जुलाई को हुई थी. तीनों ही मरीज केरल में पाए गए थे. इसके बाद दिल्ली (Delhi) में ये पहला केस मिला है. दुनियाभर में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के तेजी से बढ़ते मामले काफी चिंताजनक हैं. ये वायरस (Monkeypox Virus) अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है. विश्व के 80 देशों में अब तक 17 हजार से अधिक केस सामने आ चुके हैं. इस वायरस का सबसे अधिक असर यूरोप के देशों (European Countries) में देखने को मिल रहा है. 


ये भी पढ़ें: Delhi: मंकीपॉक्स का पहला केस मिलने पर बोले CM केजरीवाल- पैनिक होने की जरूरत नहीं, LNJP में बना स्पेशल वार्ड


ये भी पढ़ें: Monkeypox: दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे मंकीपॉक्स के मामले, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी