Centre-Delhi Dispute: दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मसला सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया है. बुधवार, 11 मई को मामले की सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा. कोई भी पक्ष सुनवाई टालने के आवेदन न दे. दिल्ली सरकार अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है.


इससे पहले 14 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला दिया था. फैसला देने वाली बेंच के 2 जजों जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण में सर्विसेस यानी अफसरों पर नियंत्रण को लेकर मतभेद था. जस्टिस सीकरी ने माना था कि दिल्ली सरकार को अपने यहां काम कर रहे अफसरों पर नियंत्रण मिलना चाहिए. हालांकि, उन्होंने भी यही कहा कि जॉइंट सेक्रेट्री या उससे ऊपर के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा. उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग उपराज्यपाल करेंगे. उससे नीचे के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग दिल्ली सरकार कर सकती है लेकिन जस्टिस भूषण ने यह माना था कि दिल्ली एक केंद्रशासित क्षेत्र है. उसे केंद्र से भेजे गए अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं मिल सकता. ऐसे में ये मसला 3 जजों की बेंच के पास भेज दिया गया था.


केंद्र ने की 5 जजों के बेंच की मांग


अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मांग रही दिल्ली सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना,जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली कि बेंच में लगा था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि स्थिति अब बदल चुकी है. यह मसला पिछले साल गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से भी जुड़ा है. चूंकि, दिल्ली सरकार ने इस संशोधन को भी चुनौती दी है. इसलिए, दोनों पर साथ सुनवाई होनी चाहिए और मामला संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए.


गर्मी की छुट्टी से पहले पूरी होगी सुनवाई 


दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सॉलिसीटर जनरल की दलील का विरोध करते हुए कहा था कि यह मामले को लंबा खींचने की कोशिश है. आज 3 जजों की बेंच ने फैसला देते हुए कहा कि 4 जुलाई 2018 को केंद्र-दिल्ली विवाद पर संविधान पीठ ने जो फैसला दिया था, उसमें एक अहम सवाल को छोड़ दिया गया था. दिल्ली सरकार के गठन से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 239AA और राज्य सूची की एंट्री 41 (राज्य लोक सेवा)  में आपसी संबंध की व्याख्या नहीं की थी. इसलिए, इस सवाल को संविधान पीठ को सौंपना सही होगा. मामले को सुनते हुए कोर्ट ने कहा था कि सुनवाई 15 मई तक पूरी करने की कोशिश होगी. आज फैसला देते हुए भी चीफ जस्टिस ने संकेत दिया कि गर्मी की छुट्टी से पहले सुनवाई पूरी कर ली जाएगी.


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