Banned Terrorist  Organisations: भारत सरकार ने आतंकवादी समूह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगे प्रतिबंध को सोमवार (29 जनवरी) को पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया. गृह मंत्री कार्यालय से सोमवार को आधिकारिक X हैंडल पर कहा गया, ''आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI)' को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत पांच साल की अवधि के लिए 'गैरकानूनी संगठन ' घोषित किया गया है.''


इसमें आगे कहा गया, ''सिमी को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल पाया गया है.'' आइये जानते हैं उन संगठनों के बारे में, जिन्होंने देश में रहकर देश को ही खोखला करने की कोशिश की और बाद में उन्हें बैन किया गया.


सिमी पर पहली बार 2001 में लगाया गया था प्रतिबंध


सिमी की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी, जिसके संस्थापक अध्यक्ष मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी थे. सिमी का घोषित मिशन भारत को इस्लामिक बनाना है. सिमी पर पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था. अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण की ओर से  प्रतिबंध हटा दिया गया था लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर 6 अगस्त 2008 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने प्रतिबंध को बहाल कर दिया था. सिमी पर पिछला प्रतिबंध 31 जनवरी, 2019 को लगाया गया था.


मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर


भारत सरकार ने पिछले साल 27 दिसंबर को मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) पर प्रतिबंध लगा दिया था. देश विरोधी गतिविधियों के लिए इस संगठन पर यूएपीए के तहत पांच साल के प्रतिबंध की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी. मसरत आलम भट इस संगठन का अध्यक्ष है. यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में शामिल कराना चाहता है और वहां इस्लामी शासन स्थापित करना चाहता है.


मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) के राज्य में अलगाववाद की गतिविधियों और  सुरक्षाबलों पर पथराव समेत अन्य गतिविधियों में शामिल रहे हैं. 


27 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने X पर एक पोस्ट में कहा था, ''मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)'/MLJK-MA को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया गया है. यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं.''


तहरीक-ए-हुर्रियत


सैयद अली शाह गिलानी के तहरीक-ए-हुर्रियत संगठन पर भी भारत सरकार की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है. गिलानी ने अपनी पूर्व पार्टी जमात-ए-इस्लामी कश्मीर को छोड़ने के बाद 7 अगस्त 2004 को तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की थी. 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 31 दिसंबर को घोषणा की थी कि तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू-कश्मीर (TeH) को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया गया है. उन्होंने X पर एक पोस्ट में कहा था, ''यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है. यह समूह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी प्रचार फैला रहा है और आतंकवादी गतिविधियां जारी रख रहा है.''


पीएफआई 


भारत सरकार ने 28 सितंबर 2022 में यूएपीए के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नाम संगठन और उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. इस संगठन पर भी आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है. पीएफआई की स्थापना 2007 में दक्षिण भारत में तीन मु्स्लिम संगठनों- केरल में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीथी पासराय का विलय करके हुई थी. 


जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीएफपी)


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 5 अक्टूबर 2023 को जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (JKDFP) को यूएपीए 1967 की धारा 3(1) के अंतर्गत एक ‘गैरकानूनी संगठन’ (Unlawful Association) घोषित कर दिया था. गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था, ''यह संगठन 1998 से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा है और इसके सदस्यों ने हमेशा भारत में अलगाववाद और आतंकवादी कृत्यों को बढ़ावा दिया है.''
 
बयान में कहा गया था, ''इस संगठन के सदस्य लोगों को उकसाकर कश्मीर को एक अलग इस्लामिक राज्य बनाना चाहते हैं, जो कि भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए हानिकारक है. इस संगठन के खिलाफ यूएपीए 1967, आईपीसी 1860, आर्म्स एक्ट 1959 एवं रणबीर दंड संहिता 1932 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.''


बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई)


बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) एक आतंकी संगठन है, जिसे बब्बर खालसा के नाम से जाना जाता है. इस संगठन का उद्देश्य पंजाब में खालिस्तान नाम का एक अलग सिख राष्ट्र बनाना है. सशस्त्र हमलों, हत्याओं और बमबारी जैसे कई अपराधों को यह अंजाम दे चुका है. भारत के अलावा, यह स्कैंडिनेविया समेत उत्तरी अमेरिका और यूरोप में संचालित होता है. इस संगठन को भारत के अलावा आधिकारिक तौर पर अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ, जापान और मलेशिया की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित और प्रतिबंधित किया गया है.


पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर


पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ऑफ मणिपुर एक मेइती उग्रवादी संगठन है, जिसकी स्थापना 25 सितंबर 1978 को एन बिशेश्वर सिंह के नेतृत्व में की गई थी. यह संगठन मणिपुर को एक अलग राष्ट्र बनाना चाहता है. नवंबर 2023 में गृह मंत्रालय ने एक एक नोटिफिकेशन जारी करके यूएपीए के तहत कई मेइती उग्रवादी संगठनों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था, जिनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ऑफ मणिपुर का भी शामिल था. ये संगठन सुरक्षाबलों पर हमला करने और हत्याओं में शामिल बताए गए थे.


नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी)


नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) भारत में बोडो लोगों के लिए एक संप्रभु बोडोलैंड बनाना चाहता था. भारत सरकार ने 24 नवंबर 2019 को इस उग्रवादी समूह पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया था. जनवरी 2020 में इस संगठन ने अपना अभियान रोकने के लिए सरकार के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके 1600 से ज्यादा उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था.


यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा)


भारत सरकार ने शस्त्र उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को 1990 में आतंकी संगठन बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. अमेरिका ने इसे 'चिंता के अन्य समूहों' के अंतर्गत सूचीबद्ध किया है. यह संगठन असम को एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य बनाना चाहता था. 29 दिसंबर 2023 को भारत सरकार, उल्फा और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे.


नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT)


नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) को 1997 से यूएपीए के तहत प्रतिबंधित है. यह संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार अपने शिविरों से काम करते हुए हिंसा में शामिल रहा है. एनएलएफटी 317 उग्रवादी घटनाओं सहित हिंसक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसमें 2005-2015 की अवधि के दौरान 28 सुरक्षा बलों और 62 नागरिकों की जान चली गई. एनएलएफटी के साथ शांति वार्ता 2015 में शुरू की गई थी. भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और एनएलएफटी ने 10 अगस्त 2019 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. अक्टूबर 2023 में सरकार ने एनएलएफटी और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के सभी गुटों और शाखाओं को गैरकानूनी घोषित कर दिया था और उन पर 5 साल के लिए पूरी तरह बैन लगा दिया था.


इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) 


इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) एक इस्लामी आतंकवादी समूह है जो खासतौर से भारत में सक्रिय है. इसकी स्थापना स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की एक शाखा के रूप में इकबाल भटकल, रियाज भटकल, यासीन भटकल, अब्दुल सुभान कुरेशी, अमीर रजा खान और सादिक इसरार शेख सहित कई कट्टरपंथियों ने की थी. यह 2005 से सक्रिय है. इस संगठन ने वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर बमबारी की थी, जहां आठ लोग घायल हो गए थे. इसके बाद इसने कई शहरों में कई सिलसिलेवार बम धमाके किए. भारत सरकार ने 4 जून 2010 को इंडियन मुजाहिदीन को आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया था.


अल-बद्र


अल-बद्र इस्लामी आतंकवादी समूह है जो कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय है. इस समूह का गठन कथित तौर पर जून 1998 में पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ओर से किया गया था. भारत और अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर इस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.


यूएपीए के तहत घोषित हैं 42 आतंकी संंगठन


इनके अलावा भारत ने हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आदि संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया है और उन पर प्रतिबंध लगाया है. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान से संचालित होते हैं. भारत में यूएपीए 1967 की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध आतंकवादी संगठनों की सूची में 42 आतंकी संगठनों के नाम शामिल हैं.


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