नई दिल्ली: पैसा लेकर हजम कर जाने वाले एनजीओ पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गयी है. सरकार ने एनजीओ के रजिस्ट्रेशन और फंडिंग पर ड्राफ्ट गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी है. अब इंतज़ार कोर्ट की मंजूरी का है.


गाइडलाइन में है कार्रवाई का प्रावधान


नए गाइडलाइन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि गलत लोगों को सरकारी फंड न दिया जाए. इतना ही नहीं सरकार अपनी तरफ से दिए गई एक एक पैसे का हिसाब लेगी. गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान भी गाइडलाइन में है.


10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पैसों का हिसाब न देने वाले एनजीओ पर बेहद कड़ा रुख अख्तियार करते हुए एक आदेश पारित किया था. कोर्ट ने सभी एनजीओ का ऑडिट कराने और दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई करने को कहा था. कोर्ट की टिप्पणी थी- "ऐसे एनजीओ को सिर्फ ब्लैक लिस्ट करना काफी नहीं. इन पर सरकारी पैसे के गबन का मामला दर्ज हो."


अनुदान देने पर नई गाइडलाइन


कोर्ट ने सरकार से एनजीओ के रजिस्ट्रेशन और उन्हें अनुदान देने पर नई गाइडलाइन बनाने को कहा था. उसी का पालन करते हुए सरकार ने ड्राफ्ट गाइडलाइन आज कोर्ट में जमा की. इसके मुताबिक :-

* नीति आयोग एनजीओ के रजिस्ट्रेशन और उन पर निगरानी के लिए नोडल एजेंसी होगा. नोडल एजेंसी के पास एनजीओ की एक-एक गतिविधि का ब्यौरा होगा

* सरकार से अनुदान लेने के इच्छुक एनजीओ को नीति आयोग के तहत आने वाले एनजीओ दर्पण में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन करने से पहले एनजीओ और उसे चलाने वालों का पुराना रिकॉर्ड जांचा जाएगा

* एनजीओ को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. उससे जुड़े लोगों को भी उनके आधार नंबर या फिर किसी और यूनिक नंबर से पहचाना जाएगा. अगर एक एनजीओ कोई गड़बड़ करता है तो वो दूसरे एनजीओ भी समीक्षा के दायरे में आ जाएंगे जिनसे इस एनजीओ के लोग जुड़े हैं.

* एनजीओ को सरकार से अनुदान लेते समय राष्ट्रपति के नाम एक बांड बनाना होगा. इस बांड में पैसों का सही उपयोग करने की बात लिखी जाएगी. बांड का उल्लंघन करने पर 10 फीसदी ब्याज के साथ पैसे वसूले जाएंगे.

* पैसों का दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा.

* किसी भी मंत्रालय से मिलने वाला अनुदान पब्लिक फंड्स मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) के ज़रिए ही दिया जाएगा.

* पैसे लेने वाले एनजीओ को काम में हो रही तरक्की का ब्यौरा मंजूरी देने वाले मंत्रालय को सौंपना होगा. ये ब्यौरा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा, ताकि कोई भी इसे देख सके.

* एनजीओ के काम पर नज़र रखने के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर कमिटी होगी.

* एनजीओ को अपने खाते सही तरीके से व्यवस्थित रखने होंगे. आय और खर्च का ब्यौरा सीएजी के पास जमा कराना होगा.


2 हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई

इस तरह की कई और सिफारिशें ड्राफ्ट गाइडलाइन में की गईं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी को इसका अध्ययन कर अपनी राय देने को कहा है. मसले पर अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.

आज सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया कि उसके आदेश के मुताबिक पूरे देश में एनजीओ ऑडिट का काम शुरू कर दिया गया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में रखे गए रिकॉर्ड के मुताबिक देश में राजिस्टर्ड साढ़े 32 लाख एनजीओ में से लगभग 30 लाख बैलेंस शीट जमा नहीं कराते. यानी अपनी आमदनी और खर्च का ब्यौरा नहीं देते. इसी पर नाराज़गी जताते हुए कोर्ट ने एनजीओ के ऑडिट और दोषियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था.