Govt. Seeks data on Oxygen shortage deaths: केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा कि इस साल कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकड़ा उन्हें मुहैया कराएं. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इन आंकड़ों को 13 अगस्त को खत्म हो रहे मॉनसून सत्र से पहले संसद के पटल पर रखा जाएगा.
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में कोरोना संक्रमण के मामलों में भारी इजाफा होने की वजह से देश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह लड़खड़ाती हुईं नजर आई थी. देशभर के अस्पतालों में बेड, दवाइयों और वैक्सीन की काफी किल्लत हो गई थी. इसके साथ ही, मेडिकल ऑक्सीजन की कमी ने स्थिति को और विकराल बना दिया. उस मुश्किल घड़ी में भारत को इमरजेंसी के आधार पर कई देशों से ऑक्सीजन को आयात करना पड़ा था. कई कोरोना के मरीजों ने ऑक्सीजन न मिलने के चलते दम तोड़ दिया.
गोवा में मई के महीने में राज्य सरकार संचालित अस्पताल में करीब 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. आंध्र प्रदेश के तिरुपति में अस्पताल के आईसीयू में भर्ती 11 कोविड के मरीजों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा आने के चलते दम तोड़ दिया था. हैदराबा के अस्पताल में दो घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से सात लोगों ने दम तोड़ दिया. ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर कई राज्यों ने कोर्ट का रूख किया. जबकि, केन्द्र ने ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ऑक्सजीन एक्सप्रेस की शुरुआत की थी.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला सामने आया था. एक अस्पताल में 21 मरीजों ने ऑक्सीजन की किल्लत के चलते दम तोड़ दिया था. हालांकि, यह मामले अभी हाईकोर्ट में लंबित है.
हालांकि, इतनी मौतों की खबर मीडिया सुर्खियों में रहने के बावजूद केन्द्र ने संसद में इसी महीने यह बताया कि किसी भी राज्य या केन्द्र शासित प्रदेशों की तरफ से ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत का मामला सामने नहीं आया है. केन्द्र ने कहा कि उसे राज्य की तरफ से ऑक्सीजन की कमी से मौत का कोई डेटा नहीं दिया गया.
केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब में कहा कि स्वास्थ्य राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों का विषय है और उनकी तरफ से केन्द्र को नियमित तौर पर रिपोर्ट की जाती हैं. उनसे यह आंकड़े लेकर देश के सामने रखे जाते हैं.