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Supreme Court: 'ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हमले से संबंधित आंकड़े गलत', केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में किया दावा

Court News: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को केंद्र ने ईसाई सस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों से संबंधित आंकड़ों को गलत करार दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया है.

Christian Institutions And Priests Attacked Case: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (13 अप्रैल) को ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा संबंधित जनहित याचिका की सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र ने ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों से संबंंधित आंकड़ों को गलत करार दिया. केंद्र की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता विदेशों में भारत की छवि खराब करने के लिए मामले तूल देना चाहते थे. 

शीर्ष अदालत नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम के रेवरंड (पादरी) पीटर मचाडो और इवेंजेलिकल फैलोशिप ऑफ इंडिया के रेवरंड विजयेश लाल समेत अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इससे पहले जनहित याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया था कि 2021 से मई 2022 तक ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा के 700 मामले दर्ज किए गए थे और गिरफ्तार किए गए लोगों में ज्यादातर अनुयायी थे.

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा पक्ष

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्राप्त आंकड़ों वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ज्यादातर मामले पड़ोसियों से जुड़े विवादों के संबंधित थे और संयोग से पार्टियों में से एक ईसाई था.

मामले की सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पादरीवाला भी शामिल थे. सॉलिसिटर जनरल ने बेंच के समक्ष कहा जनहित याचिकाकर्ताओं की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों पर संज्ञान लिया गया, जोकि गलत निकले. 

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ''याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि करीब 500 घंटनाएं ऐसी हैं, जहां ईसाइयों पर हमले किए गए. हमने राज्य सरकारों से संपर्क किया. जो भी जानकारी मिली, उसे इकट्ठा किया. सबसे पहले बिहार को ही देख लें, जहां याचिकाकर्ताओं की ओर से बताए गए कुल मामलों की संख्या पड़ोसियों की बीच झगड़े से संबंधित है, जहां एक पार्टी (पक्ष) ईसाई है.''

तुषार मेहता ने कोर्ट में किया ये दावा

मेहता ने कहा, ''उनकी ओर से दिया गया आंकड़ा गलत था.'' उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से मिले जवाबों को इकट्ठा किया है. मेहता ने कहा कि कुल मिलाकर ऐसी 38 घटनाएं बिहार से सामने आईं और रिपोर्ट के मुताबिक वे दो पड़ोसियों के बीच झगड़े से संबंधित थीं, जिनमें से एक ईसाई था. मेहता ने दावा किया कि याचिकाकर्ता मामले को तूल देना चाहते थे, साथ ही कहा कि उनकी (याचिकाकर्ताओं) ओर से की जा रही ऐसी न्यायिक कार्यवाही से जनता में बड़े पैमाने पर गलत संदेश जाएगा. 

'ऐसा संदेश जाता है कि ईसाई खतरे में हैं...'

तुषार मेहता ने कहा, ''यह इस तरह से देश के बाहर प्रदर्शित किया जा रहा है. बाहर जनता में ऐसा संदेश जाता है कि ईसाई खतरे में हैं और उन पर हमला किया जा रहा है.'' उन्होंने कहा कि जहां भी गंभीर अपराध हुए और गिरफ्तारियां जरूरी थीं तो की गईं हैं. उन्होंने कहा कि अकेले छत्तीसगढ़ में 64 गिरफ्तारियां हुईं, जहां राज्य ने ऐसी घटनाओं की सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन बनाई है. मेहता ने कहा कि याचिका में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में ईसाइयों के स्थानों और उनके संस्थानों पर 495 हमले हुए जबकि रिपोर्ट कहती है कि ऐसा कभी नहीं हुआ. 

3 हफ्ते में याचिकाकर्ताओं को देना होगा जवाब

अदालत ने केंद्र की ओर से दायर गई रिपोर्ट पर ध्यान दिया और याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है क्योंकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि उन्हें कल (12 अप्रैल) देर रात सरकार का हलफनामा मिला है.

यह भी पढ़ें- Muslim Reservation: कर्नाटक में 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म किए जाने पर SC की अहम टिप्पणी, बोम्मई सरकार को लग सकता है झटका

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