केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर में कई राजनीतिक कदम उठाने जा रही है ताकि अगले साल की शुरुआत में ही विधान सभा का चुनाव कराया जा सके. इसके लिए वहां की प्रमुख पार्टियों से भी चर्चा करने की योजना है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल (Jammu and Kashmir reorganisation bill) संसद की तरफ से पास किए जाने के बाद रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) काम में तेजी ला सकता है और अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है.
आयोग का गठन फरवरी में हुआ था और मार्च में एक साल का विस्तार दिया गया था. केन्द्रीय नेतृत्व की तरफ से आने वाले दिनों में फारुक अब्दुल्ला की अगुवाई वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपीडी चेयरपर्सन महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के सुप्रीमो अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन को भी चर्चा के लिए बुलाया जा सकता है.
अधिकारियों ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से किए जाने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. बीजेपी और कांग्रेस की राज्य ईकाई के भी इस चर्चा में शामिल होने की संभावना है. केंद्र के चर्चा करने के प्रयासों को यहां लोकतंत्र बहाल करने की दिशा में उठाये जा रहे कदमों के रूप में देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाते हुए इसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया था और इसे दिया जाने वाले विशेषाधिकार को खत्म कर दिया था. इसके साथ ही, इसे जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था.
पिछले साल डीडीसी के चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और छह अन्य दलों ने हाथ मिला लिया था. इस गठबंधन को 280 में से 110 सीटें मिली थी. बीजेपी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन में रहते हुए 67 सीटें जीती थी.
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