नई दिल्ली: जल्लीकट्टू के लिए अध्यादेश लाने के लिए दबाव बनाने के तमिलनाडु के प्रयासों के बीच केंद्र ने कहा कि उसकी तरफ से चीजें तैयार हैं लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करेगा और उम्मीद है कि शीर्ष अदालत न्याय करेगी ताकि लोग परंपरा के अनुसार उत्सव मना सकें.


पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने इस संबंध में लोकसभा के उपाध्यक्ष और अन्नाद्रमुक सांसद एम थांबिदुरई के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. दवे ने बैलों को प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित पशुओं की सूची में शामिल करने के लिए पिछली कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.


दवे ने कहा कि इस आयोजन के दौरान बैलों के साथ कोई बदसलूकी नहीं की जाती और विश्वास जताया कि सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय देते समय इन सभी पहलुओं पर विचार करेगा ताकि लोग अपना पर्व मना सकें.


दवे ने प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘हम सरकार होने के नाते सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हमें उच्चतम न्यायालय से फैसला सुनाने का अनुरोध करना चाहिए, फिर सरकार कोई कदम उठा सकती है. सरकार आधी रात में भी इस तरह की सभी चीजों के लिए तैयार है.’’


 बैलों की दौड़ वाले उत्सव जल्लीकट्टू के लिए पुरजोर आवाज उठ रहीं है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से अनुरोध किया था कि यह खेल हो सके इसके लिए अध्यादेश लागू करने पर विचार किया जाए. अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला ने भी आज मोदी को पत्र लिखा.