विपक्षी दलों ने मंगलवार को यह आरोप लगाया कि उनके बिना सलाह मशविरा के ही केन्द्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र को खत्म कर दिया. इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि संसद चलना चाहिए ताकि विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर चर्चा हो सके.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्विटर का सहारा लेते हुए यह दावा किया कि इस मुद्दे पर सरकार ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से कोई सलाह मशविरा नहीं लिया.
जयराम रमेश की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर की गई है जब संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को 14 दिसंबर को पत्र लिखते हुए कहा था कि कोविड-19 की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सभी दल संसद के शीतकालीन सत्र के पक्ष में नहीं हैं. जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा- प्रहलाद जोशी हमेशा की तरह सच्चाई से भाग रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान किसानों की तरफ से तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन को देखते हुए विपक्षी दलों ने संसद के शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग पर जोर दिया है. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस ले लेना चाहिए और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए चर्चा की जाना चाहिए.
कांग्रेस के पंजाब के सांसद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे संसद बुलाकर कानून वापस लें और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करें. पिछले कुछ दिनों में कई कांग्रेसी नेता इस प्रदर्शन में उनके साथ जुड़े हैं.
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