कोलकाता: केंद्र सरकार ने फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर के आयोजन पर पश्चिम बंगाल सरकार से मंगलवार को रिपोर्ट तलब की. इसपर आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई है. बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार का इससे कोई सबंध नहीं है. साथ ही उन्होंने सवाल किया कि कहीं उन शिविरों का आयोजन करने में बीजेपी का हाथ तो नहीं है.
ममता बनर्जी ने आरोप लगया कि पश्चिम बंगाल को बदनाम करने के लिए केंद्र सरकार कुछ एजेंसियों का इस्तेमाल राई का पहाड़ बनाने के लिए कर रही है. बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से कोलकाता के कुछ इलाकों में कथित तौर पर गैर कानूनी तरीके से कोविड-19 टीकाकरण शिविर आयोजित करने के मामले की जांच कर अगले दो दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी द्वारा मामले पर ध्यान आकर्षित कराए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव कृष्ण द्विवेदी को 29 जून को पत्र लिखकर मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.
राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ संदिग्ध टीकाकरण शिविर लगाने का एक मामला है. पश्चिम बंगाल सरकार का उनसे कोई संबंध नहीं है. हमने शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की.’’
कई लोगों को कोलकाता में संदिग्ध टीकाकरण शिविर आयोजित करने और फर्जी टीके की खुराक देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जिनमें खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी बताने वाला सरगना भी शामिल है.
ममता का बीजेपी पर आरोप
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उनकी सरकार को भेजे पत्र का हवाला देते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि इस तरह का पत्र तब नहीं भेजा गया जब गुजरात में बीजेपी के कार्यालय में टीके की खुराक दी गई.
उन्होंने कहा,‘‘ गुजरात में टीके की खुराक बीजेपी के कार्यालय में दी गई. उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कितने पत्र भेजे गए? कितनी जांच की गई? जब राज्य अच्छा कर रहा है तो वे उसमें रोड़े अटका रहे हैं.’’
ममता बनर्जी ने कोलकाता में फर्जी टीकाकरण शिविर में बीजेपी के भी शामिल होने की आशंका जताई. उन्होंने कहा, ‘‘क्या सबूत हैं कि इसके पीछे बीजेपी नहीं है? बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस (नेताओं)की तस्वीर रखती है.’’ बीजेपी ने फर्जी टीकाकरण शिविर के मुख्य आरोपी देवंजन देब के साथ तृणमूल नेताओं की तस्वीर साझा की थी.
ममता बनर्जी ने कहा कि तस्वीरों के आधार पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे एडिटेड हो सकते हैं और ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल अपना धंधा चलाने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरें हो सकती है जिनमें बीजेपी और अन्य पार्टियों के नेता देवंजन देब के साथ दिख रहे हों.
बनर्जी ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से एक दिन वे सामने आएंगे. जो भी इन गतिविधियों के पीछे है, चाहे उसका जुड़ाव किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से हो, उससे सख्ती से निपटा जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि लोगों को फर्जी टीका लगाना आतंकवादी घटना से भी अधिक खराब है.
बनर्जी ने कहा, ‘‘ फर्जी टीकाकरण शिविर में जो टीके लगाए गए वे एंटीबायोटिक थे न कि कोविड टीके. हम उम्मीद करते हैं कि जिन्हें ये टीके लगे हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. स्वास्थ्य विभाग उनकी सेहत पर नजर रखे हुए है और जब डॉक्टर अनुमति देंगे तब उन्हें टीके लगाए जाएंगे. यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.’’