नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में जहां एक तरफ सेना ऑपरेशन ऑल आउट चलाए हुए हैं वहीं दूसरी तरफ पत्थरबाजी और प्रदर्शन की वजह से आम जन जीवन अस्त व्यस्त है. जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सभी दलों की बैठक बुलाकर केंद्र से घाटी में रमजान और अमरनाथ यात्रा के लिए एकतरफा सीजफायर की मांग की है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा साल 2000 में जैसे वाजपेयी सरकार ने सीजफायर का एलान किया था अभी भी मोदी सरकार को वैसा ही करना चाहिए. हाल ही घाटी में पत्थरबाजी की घटना के दौरान चेन्नई के पर्यटक की मौत हो गई थी.
सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''हम सभी को भारत सरकार से अपील करनी चाहिए कि रमजान के मुबारक मौके पर और अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पर जैसे साल 2000 वाजपेयी जी ने सीजफायर किया था उसी तरह का कोई कदम उठाए. इससे आम लोगों को थोड़ी रिलीफ मिले. इस वक्त जो एमकाउंटर हो रहे हैं, सर्च ऑपरेशन हो रहे हैं, उसमें आम लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है. हमें ऐसे कम उठाने चाहिए जिससे लोगों का विश्वास बहाल हो.''
क्या होता है सीजफायर?
आतंकियों या सीमा पर जब सेना कार्रवाई नहीं करती है उसे सीजफायर या युद्धविराम कहते हैं. सीजफायर में सुरक्षाबल पहले कार्रवाई नहीं करते हैं. जिस तरफ से पहले गोलीबारी होती है उसे सीजफायर उल्लंघन कहते हैं. नवंबर 2000 में वाजपेयी सरकार ने सीजफायर का एलान किया था.
रजमान की वजह से घाटी में सीजफायर का एलान किया गया था. रमजान में घाटी में सुरक्षाबलों की कार्रवाई से लोगों को परेशानी होती है. सुरक्षाबलों को कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया गया था. आतंकी हमला होने पर कार्रवाई की पूरी छूट मिली थी. रमजान-अमरनाथ यात्रा की वजह से फिर सीजफायर की मांग उठ रही है