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मौत की सज़ा के लिए केंद्र सरकार ने बताया फांसी को सबसे बेहतर तरीका

सरकार ने कहा है कि फांसी आधुनिक तरीकों से बेहतर है. लॉ कमीशन की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों में शांति से मौत को जीवन के अधिकार का हिस्सा बताया गया है. फांसी दूसरे तरीकों के मुकाबले इस कसौटी पर ज़्यादा खरा उतरता है.

नई दिल्लीः केंद्र ने मौत की सज़ा के लिए फांसी को सबसे बेहतर तरीका बताया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि फांसी मौत के दूसरे तरीकों से ज़्यादा भरोसेमंद और कम तकलीफदेह है.

याचिका पर जवाब सरकार ने ये हलफनामा ऋषि मल्होत्रा नाम के वकील की याचिका के जवाब में दाखिल किया है. इस याचिका में फांसी को मौत का क्रूर और अमानवीय तरीका बताया गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक फांसी की प्रक्रिया बहुत लंबी है. मौत सुनिश्चित करने के लिए फांसी के बाद भी सज़ा पाने वाले को आधे घंटे तक लटकाए रखा जाता है.

मल्होत्रा ने याचिका में कहा था कि दुनिया के कई देश फांसी का इस्तेमाल बंद कर चुके हैं. भारत में भी ऐसा होना चाहिए. याचिकाकर्ता ने मौत के लिए घातक इंजेक्शन देने, गोली मारने या इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल जैसे तरीके अपनाने का सुझाव दिया था.

फांसी सबसे बेहतर तरीका अब सरकार ने कहा है कि फांसी इन आधुनिक तरीकों से बेहतर है. लॉ कमीशन की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों में शांति से मौत को जीवन के अधिकार का हिस्सा बताया गया है. फांसी दूसरे तरीकों के मुकाबले इस कसौटी पर ज़्यादा खरा उतरता है.

इंजेक्शन तकलीफदेह हो सकता है सरकार के मुताबिक ऐसा देखा गया है कि ज़हर के इंजेक्शन से कई बार मौत में देरी होती है. हलफनामे में कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं :-

* 2014 में अमेरिका में जोसफ रुडोल्फ वुड को मौत का इंजेक्शन दिया गया, तब 2 घंटे तक उसकी मौत नहीं हुई. इस दौरान वो 660 बार हांफा

* डेनिस मैकग्यूरी की मौत 25 मिनट में हुई. उसने भी कई बार हांफते हुए सांस लेने की कोशिश की

* माइकल विल्सन को जब इंजेक्शन दिया गया तब मरने से पहले वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाया कि उसका पूरा शरीर जल रहा है

सरकार ने आगे कहा है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी कई बार मौत की सज़ा में सिर्फ इसलिए देरी होती है कि इस काम में इस्तेमाल होने वाली दवा उपलब्ध नहीं होती. दवा कंपनियां मौत के लिए दवा देने से मना कर देती हैं.

गोली मारना क्रूर तरीका गोली मार कर जान लेने को भी केंद्र ने अव्यवहारिक तरीका बताया है. सरकार ने कहा है कि तीनों सेनाओं में इस तरीके की इजाज़त है, लेकिन वहां भी ज़्यादातर फांसी के ज़रिए ही मौत की सज़ा दी जाती है.

सरकार के मुताबिक ऐसे दस्ते को बनाना मुश्किल है जो गोली मार कर किसी की जान लेना चाहे. विदेशों में कई बार ऐसा देखा गया है कि निशाना जब दिल पर नहीं लगता तो सज़ायाफ्ता तड़प तड़प कर मरता है. इस लिहाज़ से ये बेहद क्रूर तरीका है.

राज्य भी बदलाव को तैयार नहीं सरकार ने हलफनामे में कहा है कि उसने लॉ कमीशन की 187वीं रिपोर्ट पर राज्यों से विचार पूछे थे. इस रिपोर्ट ने लॉ कमीशन ने कैदी को मौत का तरीका चुनने का अधिकार देने की सिफारिश की थी. राज्य सरकारों ने कहा कि उनके पास दूसरे तरीकों को अपनाने के ज़रूरी साधन नहीं हैं. उत्तराखंड सरकार ने उसे कहा कि अगर घातक इंजेक्शन के ज़रिए मौत की व्यवस्था की जाती है तो लोगों को केमिकल के बारे में पता चल जाएगा, इसका दुरुपयोग हो सकता है.

केंद्र ने कहा है कि भारत में सज़ा ए मौत के मामले बहुत कम होते हैं. 2012 से 2015 के बीच कुल 3 लोगों को फांसी दी गई. इस लिहाज़ से भी मौत की सज़ा के आधुनिक तरीकों का बंदोबस्त करना व्यवहारिक सुझाव नहीं है. केंद्र के मुताबिक फांसी का पुराना तरीका ही मौत का सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है. मामले पर मई के पहले हफ्ते में सुनवाई हो सकती है.

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