केंद्र सरकार ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि वर्तमान में उसके राष्ट्रीय दिशा-निर्देश घर-घर जाकर कोविड-19 टीका लगाने की अनुमति नहीं देते. केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों और नगर निकायों ने केंद्र के परामर्श दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज करने का निर्णय लिया था और वे नागरिकों की विशेष श्रेणी के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 का टीका लगा रहे थे, लेकिन अब तक इस तरह के अभियान को राष्ट्रीय नीति के तौर पर लागू करना संभव नहीं था.


मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने पूर्व में केंद्र से बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के उस अनुरोध पर केंद्र की प्रतिक्रिया मागी थी, जिसमें बीएमसी ने बुजुर्गों, बिस्तर पर पड़े लोगों और इसी श्रेणी के नागरिकों का घर-घर जाकर टीकाकरण करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया था. अनिल सिंह इसी का जवाब दे रहे थे.


सिंह ने कहा, 'केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में बीएमसी द्वारा अनुमति मांगे जाने पर मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के अभियानों के खिलाफ उसके दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की सिफारिशों पर आधारित हैं.'


उन्होंने कहा, ' कुछ राज्य एवं नगर निकाय घर-घर जाकर टीकाकरण करने का अभियान चला रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय नीति का अनुसरण होना चाहिए. हम अदालत से हमारे साथ कुछ समय के लिए थोड़ा बर्दाश्त करने का अनुरोध करते हैं. कुछ समय के लिए यह व्यावहारिक अथवा संभव नहीं है.'


सिंह ने कहा कि केंद्र समय-समय पर अपनी नीति में सुधार कर रहा है और भविष्य में शायद केंद्र घर-घर जाकर टीका लगाने की अनुमति प्रदान कर सकता है. उन्होंने कई राज्यों में इस तरह के टीकाकरण अभियान चलाए जाने पर केंद्र द्वारा उन्हें मना नहीं किय गया.


पीठ ने कहा कि इस तरह महाराष्ट्र ऐसे राज्यों का अनुसरण कर सकता है जो पहले ही खास श्रेणी के लोगों के लिए घर-घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध कर रहा है. पीठ ने बीएमसी से पूछा कि अगर महाराष्ट्र सरकार घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करती है तो वह केंद्र के या राज्य के दिशा-निर्देशों का पालन करेगी? इस पर बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने कहा, ' हम राज्य के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे.'