सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक की मांग, केंद्र ने दिल्ली HC से कहा- ये याचिका कानून की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग
केंद्र ने कहा कि ठेकेदार ने सभी मजदूरों का हेल्थ इंश्योरेंस करा रखा है और कंस्ट्रक्शन साइट पर कोविड फैसिलिटी भी है. इसके अलावा उनके आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए एक अलग सुविधा भी प्रदान की गई है.
नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग से जुड़ी याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा कि ये जनहित याचिका इस परियोजना को रोकने की एक और कोशिश है, जिसे शुरू से ही बाधित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र ने आरोप लगाया कि याचिका दायर करने की मंशा इस बात से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं ने इसी परियोजना पर सवाल उठाया है, जबकि दिल्ली मेट्रो समेत कई अन्य एजेंसियां राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण कार्य कर रही हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि चूंकि केंद्र का यह शपथपत्र अभी रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए मामले की सुनवाई 12 मई को होगी. अदालत ने याचिकाकर्ताओं आन्या मल्होत्रा और सोहेल हाशमी की शीघ्र सुनवाई की अर्जी भी स्वीकार कर ली. याचिकर्ताओं ने दलील दी है कि यह परियोजना आवश्यक गतिविधि नहीं है और इसलिए, महामारी के मद्देनजर इस पर रोक लगाई जा सकती है.
हलफनामे में केंद्र ने क्या कहा
एक हलफनामे में कार्यकारी अभियंता, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट डिवीजन-3, सीपीडब्ल्यूडी, राजीव शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गई याचिका कानून की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है और कोविड-19 स्थिति की आड़ में यह परियोजना को रोकने का एक प्रयास है. केंद्र ने कहा कि परियोजना पर काम जारी रखने की इच्छा व्यक्त करने वाले 250 श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ही एक कोविड सुविधा स्थापित की गई है।
हलफनामे में जोर दिया गया है कि महत्वपूर्ण बात यह है कि संबंधित कार्य स्थल पर एक समर्पित चिकित्सा सुविधा होने के कारण, श्रमिकों को तत्काल चिकित्सा और उनकी उचित देखभाल तक पहुंच प्राप्त होगी, जो अन्यथा अत्यंत कठिन होगी. दलील दी गई है कि इस अभूतपूर्व समय में जब चिकित्सा के हमारे मौजूदा बुनियादी ढांचे पर काफी बोझ है, उसे देखते हुए वह यहां काफी सुरक्षित हैं. हलफनामे में कहा गया है कि 19 अप्रैल 2021 के डीडीएमए आदेश के पैरा 8 के अनुसार, कर्फ्यू के दौरान निर्माण गतिविधियों की अनुमति है, जहां मजदूर साइट पर रहते हैं.
बता दें कि विपक्षी दल नए संसद भवन, सरकारी ऑफिस और प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने का विरोध करते रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस प्रोजेक्ट का यह कहते हुए विरोध किया कि महामारी के दौरान इस काम को रोक दिया जाना चाहिए. कुछ लोगों का कहना है कि इस दौरान हॉस्पिटल्स की परेशानी है, ऑक्सीजन, वैक्सीन और दवाओं की किल्लत है और ऐसे समय में करोड़ों रुपये खर्च करके निर्माण कार्य चालू है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसी ही एक याचिका दायर की गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल दखल देने से मना कर दिया था.
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