ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी को आयात करने पर नहीं देनी होगी इंपोर्ट ड्यूटी. ब्लैक फंगस के मामलों और उसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले दवा की किल्लत के मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के विदेशों से आयात होने पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को फिलहाल हटा दिया गया है.


यानी निजी तौर पर इस्तेमाल के लिए अगर कोई व्यक्ति एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन विदेश से मंगवाता है तो उसको फिलहाल इंपोर्ट ड्यूटी नहीं देनी होगी. इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस रेगुलेटर से कहा है कि 65 साल से ज्यादा उम्र के और घर पर इलाज कर रहे लोगों को भी इंश्योरेंस क्लेम देने पर विचार करें.


इस पहले दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल दिल्ली में 613 ब्लैक फंगस के मामले हैं. इनके इलाज के लिए अभी 6000 डोज़ की ज़रूरत है. अगले 1 महीने के अंदर ये मामले बढ़कर 1000 हो जाएंगे. लिहाजा दिल्ली को उसकी जरूरत के हिसाब से इंजेक्शन मुहैया कराए जाएं.


कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि पूरे देश के बारे में भी देखना होगा, ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार सिर्फ दिल्ली की तरफ ही ध्यान देगी. बाकी राज्यों में भी इस तरीके के मामले लगातार बढ़ रहे है. उनकी भी जरूरतें हैं लिहाजा केंद्र सरकार सभी राज्यों की जरूरत और इंजेक्शन की उपलब्धता को देखते हुए राज्यों को उपलब्ध करवा रही है.


कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इंजेक्शन की सप्लाई समुचित मात्रा में होती तो हम कोई आदेश दे सकते हैं. लेकिन यहां पर इंजेक्शन की पहले से ही काफी किल्लत है.  ऐसे में कोर्ट यह नहीं कह सकता कि किसी एक व्यक्ति या किसी एक राज्य को इंजेक्शन दिया जाए और दूसरे को नहीं क्योंकि ऐसा करने से दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी.


दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार को और भी तरीकों से इस इंजेक्शन के उपलब्धता बढ़ाने में कोशिश करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में पहले से ही केंद्र सरकार से कहा जा चुका है. कोर्ट के सलाहकार वकील ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार ने ब्लैक फंगस के इंजेक्शन को लेकर ग्लोबल टेंडर भी जारी किया. इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम भी ऐसे टेंडर जारी कर सकते हैं. अगर यही तरीका है तो हम यह भी करने को तैयार है. इसी तरीके से हमने वैक्सीन को लेकर भी किया था. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार को दिल्ली से जो भी सहयोग चाहिए हम करने को तैयार हैं, लेकिन ब्लैक फंगस की दवा केंद्र सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. क्योंकि केंद्र सरकार के पास हमसे ज्यादा साधन और सुविधा है.


कोर्ट ने इंश्योरेंस रेगुलेटर से सवाल पूछा कि आखिर 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को इन पॉलिसी में कवर क्यों नहीं किया जा रहा, क्योंकि सबसे ज्यादा खतरा ज़्यादा इसी उम्र के लोगों को बताया जा रहा है. कोर्ट ने पूछा कि 65 साल की उम्र से ज़्यादा वालों का क्या!! कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना इंश्योरेंस कवर 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को भी मिलना चाहिए. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह भी ठीक नहीं है कि कोई व्यक्ति 20 सालों तक इंश्योरेंस का प्रीमियम हर रहा है, लेकिन जब उसको जरूरत है तो पता चलता है कि यह तो कवर है ही नहीं.


इस बीच कोर्ट को बताया गया कि इंश्योरेंस क्लेम उन्हीं मामलों में मिलता है जहां पर मरीज अस्पताल में 24 घंटे भर्ती रहा हो. लेकिन कोरोना काल के दौरान तो लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिला जिसके चलते उन्होंने घर पर रहकर ही अपना इलाज किया और इसे इलाज के दौरान हजारों रुपए भी खर्च हुए. लेकिन ऐसे में उन लोगों को क्लेम नहीं मिल सकता. जिसके बाद कोर्ट ने इन्सुरेंस रेगुलेटर से कहा कि इस मामले पर विचार किया जाना जरूरी है, जहां पर मरीज अस्पताल में नहीं भर्ती हो रहा लेकिन घर पर रहकर ही अपना इलाज कर रहा है. इलाज पर हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं तो वहां पर उसको क्लेम क्यों नहीं मिल सकता!!


इंश्योरेंस रेगुलेटर से कोर्ट ने कहा कि इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि इंश्योरेंस पॉलिसी धारक को उसी पॉलिसी के साथ ही कोरोना कवच पॉलिसी लेने का भी विकल्प दिया जाए. कोरोना कवच पॉलिसी में घर रहते हुए इलाज को भी कवर किया गया है कि इससे लोगों को एक विकल्प मिलेगा अगर वह चाहे उसको अपना सकते हैं.


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