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दिहाड़ी मजदूरों की उम्मीद है भारतमाला परियोजना, 20 लाख नौकरियों के साथ 10 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों को मिलेगा काम

भारतमाला परियोजना ना सिर्फ सड़क से निर्माण, बेहतर कनेक्टिविटी का जरिया बना है, साथ ही इस परियोजना से रोजगार की उम्मीद भी बढ़ी है. इस परियोजना से 100 मिलियन दिहाड़ी मजदूरों को काम मिलने की उम्मीद है.

केन्द्र की मोदी सरकार बिहार में सड़क के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 44,950 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है. इस बात की घोषणा पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने की है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने भारतमाला परियोजना के तहत राज्य में सड़कों और राजमार्गों के विकास के लिए एक बड़ी राशि भी आवंटित की है. 

सड़क परिवहन और राजमार्ग वित्त वर्ष 2023-24 में मंत्रालय ने पटना के राष्ट्रीय राजमार्ग -30 पर अनीसाबाद से गुरुद्वारा मोड़ तक 15 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. इस परियोजना के निर्माण में 1,000 करोड़ रुपये की लागत लगने की उम्मीद है. 

रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद और गया को कवर करेगी योजना

छह लेन का ग्रीनफील्ड वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे बिहार के चार जिलों कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया से होकर गुजरेगा.  610 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे में से 162 किलोमीटर बिहार में होगा.  यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है. 

इनके अलावा, सरकार ने कई जिलों में 13 पुलों के निर्माण के लिए 23,175 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया है.  केंद्र ने फतुहा में 100 एकड़ भूमि पर पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है. आइये पहले इस योजना को पूरी डिटेल में समझते हैं. 

क्या है भारतमाला परियोजना 

भारतमाला परियोजना, भारत में हाईवे (राजमार्ग) के निर्माण की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है, जिसका उद्देश्य खास तौर पर इकोनॉमिक कॉरिडोर (आर्थिक गलियारों), दूसरे देशों की सीमा से सटे इलाकों और दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है. 

आर्थिक गलियारों यानी इकोनॉमिक कॉरिडोर का मतलब दूसरे देशों की सीमा से लगे इलाकों और दूर-दराज के क्षेत्रों या सड़कों से है. भारतमाला योजना के तहत इन्हीं आर्थिक गलियारों की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है.  इसके लिए केंद्र सरकार ने साल 2017 में भारतमाला प्रोजेक्ट (या भारतमाला परियोजना) के नाम से हाईवे (राजमार्ग) के विकास की एक बड़ी योजना की शुरुआत की थी. 

भारतमाला परियोजना केन्द्र सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली परियोजना है. जिसका उद्देश्य देश भर में सड़कों, राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का नेटवर्क बनाना है. यह परियोजना छह लेन के राजमार्गों के माध्यम से भारत के 550 से ज्यादा जिला मुख्यालयों को जोड़ेगी. राजमार्गों और सड़कों के विकास के अलावा, परियोजना का एक उद्देश्य राजमार्गों के माध्यम से माल ढुलाई की कैपेसिटी में सुधार करना है.  परियोजना ने "कॉरिडोर-आधारित राष्ट्रीय राजमार्ग विकास" पर जोर दिया गया है. योजना की शुरूआत 31 जुलाई, 2015 को हुई थी.

योजना की शुरुआत करने पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा था कि , “यह परियोजना देश भर में सामानों की ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही को बेहतर बनाएगी. इसलिए इस योजना के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर की खामियों को दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएँगे. 

जिनमें इंटर-कॉरिडोर और फीडर रूट का विकास इकोनॉमिक कॉरिडोर,  नेशनल कॉरिडोर की क्षमता को बेहतर बनाने के अलावा सीमा से लगे इलाकों के साथ-साथ दूसरे देशों से संपर्क के लिए सड़कों का निर्माण शामिल है. इसके अलावा तटीय इलाकों और बंदरगाह को जोड़ने वाली सड़कों और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण शामिल है. 

पंजाब, गुजरात से होकर मणिपुर और मिजोरम तक फैली भारतमाला परियोजना

भारतमाला परियोजना गुजरात और राजस्थान से शुरू होकर, पंजाब की तरफ सड़कों का निर्माण कर रही है. उसके बाद पूरे हिमालयी राज्यों - जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तराई इलाकों के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाओं को कवर करेगी . ये योजना पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम में भारत-म्यांमार की सीमा की  सड़कों को भी कवर करेगी.  इस योजना के तहत आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के अलावा दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी देने पर खास ध्यान दिया जाएगा. 

भारतमाला परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है

रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के मुताबिक फेज वन का काम 2023 तक पूरा होना था जो अब बढ़ कर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है. भारतमाला के पहले फेस को पूरा करने में 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत आंकी गई थी. जो अब बढ़ कर 8.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है. 

चंबल एक्सप्रेसवे भी भारतमाला परियोजना का हिस्सा

19 अगस्त 2021 को 404 किलोमीटर लंबे चंबल एक्सप्रेसवे को भारतमाला परियोजना के पहले चरण में शामिल किया गया. मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों से गुजरने वाले चंबल एक्सप्रेसवे के निर्माण पर 8,250 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. यह एक्सप्रेसवे स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर, उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर, पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर तथा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ क्रॉस-कनेक्टिविटी देगा. 

भारतमाला परियोजना के फेज 2 के लिए योजनाएं पहले ही शुरू हो चुकी है. एनएचएआई ने दूसरे चरण के तहत कवर किए जाने वाले 5,000 किलोमीटर नेटवर्क की पहचान की है. बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (The National Highways Authority of India) राष्ट्रीय राजमार्ग the National Highway )और औद्योगिक विकास निगम ( Industrial Development Corporation) राज्य लोक निर्माण विभागों  (state public works departments) को परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.  

भारतमाला परियोजना के तहत कवर होने वाले प्रोजक्ट

आर्थिक गलियारा – सड़क निर्माण परियोजना के दिशानिर्देशों के मुताबिक, 9000 किलोमीटर के आर्थिक गलियारों का निर्माण केंद्र सरकार की तरफ से किया जाएगा. 
फीडर रूट या इंटर कॉरिडोर - फीडर रूट या इंटर कॉरिडोर कैटेगरी के तहत आने वाली सड़कों की कुल लंबाई 6000 किलोमीटर है. इसे भी भारतमाला परियोजना के बनाया जाएगा. 
राष्ट्रीय गलियारा कैपेसिटी में सुधार - योजना के तहत बनाए गए 5000 किलोमीटर सड़कों के बीच बेहतर कनेक्शन या कनेक्टिविटी पर भी काम किया जाएगा. 
सीमा सड़क और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी –भारतमाला परियोजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित शहरों और दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा. भारतमाला परियोजना के तहत ऐसे  2000 किलोमीटर सड़कों के निर्माण का प्रावधान रखा गया है जो सीमा सड़क या अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी श्रेणी में आते हैं. 
पोर्ट कनेक्टिविटी और कोस्टल रोड – तटरेखाओं और महत्वपूर्ण बंदरगाहों के साथ जुड़े क्षेत्रों को जोड़ने के लिए, केंद्र सरकार ने 2000 किमी सड़कों के निर्माण का आदेश दिया है.
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे – यातायात और माल ढुलाई के बेहतर प्रबंधन के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण और विकास पर भी जोर दिया गया है.
एनएचडीपी वर्क्स -  परियोजना में लगभग 10,000 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण और रखरखाव होगा. 

भारतमाला परियोजना से मिलेगा रोजगार 

जाहिर है ये परियोजना काफी बड़े पैमाने पर शुरू हुई है. इस परियोजना से पूरे भारत में आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा. नतिजतन रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. रिपोर्टस ये दावा करती हैं कि भारतमाला परियोजना से लगभग 20 लाख नौकरियां और 10 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों को काम मिलने की उम्मीद है.

2019 के आंकड़े के मुताबिक बिहार में 1 लाख 11 हजार दिहाड़ी मजदूर हैं. जो 2022 तक बढ़ कर तीन लाख हो गए. अब भारतमाला परियोजना के तहत केन्द्र सरकार जिस तरह से बिहार में बड़ी रकम देने वाली है उससे साफ है कि दिहाड़ी मजदूरों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलेंगे. 

बिहार में दिहाड़ी मजदूरों को मिलेगा महीने का 10 हजार रुपया

बता दें कि बिहार में न्यूनतम मजदूरी में सात से 11 रुपए तक की बढ़ोत्तरी 1 अक्टूबर 2022 से ही की जा चुकी है.  अगर  भारतमाला परियोजना के तहत 10 हजार मजदूर दिहाड़ी पर काम करते हैं तो प्रत्येक मजदूर को महीने का 11 हजार 190  रूपया मिलेगा. भारतमाला परियोजना पूरे भारत में काम कर रही हैं. ऐसे में जाहिर है कि पूरे देश के मजदूरों के इससे रोजगार मिलेगा. 

यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मजदूरों को मिलेंगे रोजगार के अवसर

यूपी की बात करें तो यूपी से पलायन करके दूसरे राज्यों में जा कर रोजगार तलाशने वाले मजदूरों की संख्या देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. 2011 की जनगणना के अनुसार कुल संख्या का 50 फीसदी पलायन देश की हिंदी पट्टी, यानी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होता है. यानी भारतमाला परियोजना हिंदी पट्टी के मजदूरों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर खोलने वाली है. 

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