केंद्र की मोदी सरकार बनाम महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की सियासी लड़ाई के बीच जांच एजेंसियों की भूमिका पर इस वक्त सवाल उठ रहे हैं. एक ओर जहां ईडी ने ठाकरे सरकार के सहयोगी दलों के नेताओं की नींद उड़ा रखी है तो वहीं ठाकरे सरकार के अधीन काम करने वाली महाराष्ट्र पुलिस ने भी BJP नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने शुरू कर दिये हैं. महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संग्राम में इन जांच एजेंसियों की क्या भूमिका है, इसपर पढ़िए एबीपी की ये खास रिपोर्ट.
• महाराष्ट्र में ईडी के निशाने पर सबसे पहले जो बड़ा नाम आया वो था एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे छगन भुजबल का. साल 2016 में भुजबल पर आरोप लगा कि उन्होंने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण के ठेकों में घोटाला किया और उससे अर्जित की गई कमाई को विदेश में ठिकाने लगाया. इस मामले में उनके भतीजे समीर भुजबल को भी गिरफ्तार किया गया. करीब 2 साल जेल में रहने के बाद चाचा-भतीजे को जमानत मिली.
• साल 2021 में NCP के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. देशमुख पर ट्रांसफर पोस्टिंग से अर्जित कमाई से मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.
• साल 2022 में ईडी की गिरफ्त में आने वाले राजनेता बने एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक. उनपर दाऊद के गिरोह से संपत्ति की खरीद फरोख्त और मनी लांड्रिंग का आरोप है.
बंद पड़ी चीनी मिलों की खरीद-फरोख्त के मामले में ईडी की ओर से NCP प्रमुख शरद पवार और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को भी सम्मन भेजा जा चुका है.
अब तक NCP के तीन मंत्री ED के मार्फत जेल की हवा खा चुके हैं, लेकिन ED के निशाने पर सिर्फ NCP ही नहीं है. महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार का प्रमुख घटक दल शिवसेना भी है, हालांकि अब तक शिवसेना का कोई नेता गिरफ्तार तो नहीं हुआ है, लेकिन ED की कार्रवाई ने शिवसेना नेताओं की नींद उड़ा रखी है. ED की गिरफ्त में आने वाले सबसे पहले शिवसेना नेताओं में से थे ठाणे से विधायक प्रताप सरनाईक. एक दिन अचानक ईडी की टीम ठाणे में उनकी संपत्तियों पर पहुंच गई और उन्हें जब्त कर लिया.
सरनाईक के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है. सुप्रीम कोर्ट से वक्त रहते राहत मिल जाने की वजह से सरनाईक की गिरफ्तारी टल गई, लेकिन इस कार्यवाही से सरनाईक इतने घबरा गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक खत लिख डाला. खत के जरिए उन्होंने सलाह दी कि BJP के साथ रिश्ते सुधार लेने चाहिए और उनके साथ सरकार बना लेनी चाहिए. प्रताप सरनाई के बाद ईडी ने उद्धव ठाकरे के खास मंत्री अनिल परब और शिवसेना विधायक रविंद्र वाईकर को भी सम्मन भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया.
अब तक ईडी सरकार में शामिल एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के खिलाफ की कार्रवाई कर रही थी, लेकिन मार्च 2022 में ईडी के हाथ उद्धव ठाकरे के घर तक पहुंच गए. उद्धव के करीबी रिश्तेदार ईडी के शिकंजे में आ गए. 22 मार्च को ईडी ने ठाणे में उद्धव ठाकरे की पत्नी के भाई श्रीधर पाटणकर के खिलाफ कार्रवाई की. 2017 के एक मामले में उनकी करीब साढ़े 6 करोड़ रुपए की संपत्ति जिनमें कई सारे फ्लैट्स थे उन्हें जब्त कर लिया. ईडी के शिकंजे में एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे भी फंस चुके हैं. कई लोगों का मानना है कि ईडी के दफ्तर में हाजिरी लगाने के बाद से राज ठाकरे की सियासी सोच बदल गई, जो राज ठाकरे पहले बीजेपी का विरोध करते थे वे बीजेपी को लेकर नरम पड़ गए.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त तो राज ठाकरे ने मोदी के खिलाफ खुली मुहिम छोड़ दी. उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन राज्य में घूम -घूम कर उन्होने मोदी के खिलाफ सभाएं लीं, जिनमें मोदी के पुराने बयानों के वीडियो दिखाये गये और ये बताने की कोशिश की गयी कि मोदी की कथनी और करनी में कितना अंतर है. उसके बाद राज ठाकरे को ईडी का सम्मन आ गया. ईडी के दफ्तर में राज ठाकरे को 9 घंटे तक बिठाकर रखा गया.
उसके बाद अक्टूबर 2019 में विधान सभा के चुनाव आये. उन चुनावों में राज ठाकरे ने ये कहकर सबको चौका दिया कि वे सत्ता हासिल करने के लिये चुनाव नहीं लड़ रहे. वे तो विपक्ष में बैठने के लिये चुनाव लड़ रहे हैं. सियासी हलकों में लोगों ने इस बात पर गौर किया कि राज ठाकरे ने बीजेपी को टारगेट करना बंद कर दिया है. इसके बाद उन्होंने जनवरी 2020 में हिंदुत्व को अपना लिया. एनसीपी नेता छगन भुजबल के मुताबिक राज ठाकरे के बदले सुर, ईडी दफ्तर में मिली दीक्षा का कमाल है.
बहरहाल महाराष्ट्र में ईडी की कार्यवाई के इस सत्र को केंद्र की बीजेपी सरकार बनाम महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है. सियासी हलकों में माना जा रहा है ठाकरे सरकार भी बीजेपी नेताओं पर शिकंजा कसने के लिए अपने अधीन काम करने वाली महाराष्ट्र पुलिस का सहारा ले रही है. बीते चंद महीनों में महाराष्ट्र पुलिस ने भी कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किये और कुछ को तो हवालात भी जाना पड़ा.
• बुधवार की रात मुंबई पुलिस ने बीजेपी नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया. ये मामला संजय राऊत की ओर से लगाये गये इस आरोप के बाद दर्ज किया गया कि पिता-पुत्र ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को बचाने के नाम पर करोड़ों रूपये जमा किये और फिर उन्हें हड़प लिया.
• इससे पहले मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा नील सोमैया पर जमीन खरीद-फरोख्त के दौरान गड़बड़ी का एक और मामला दर्ज कर चुकी है.
• चंद महीने पहले ही केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को चिपलुण में गिरफ्तार कर लिया गया था, जब उनपर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा.
• इसी साल कनकवली में उनके बेटे और बीजेपी विधायक नितेश राणे को भी एक शिवसेना नेता से मारपीट के आरोप में गिरप्तार कर लिया गया.
• मुंबई के मालवणी पुलिस थाने में फिर एक बार दिशा सलियेन की मौत के मामले में आपत्तिजनक बयान देने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज कर लिया और दोनो को जमानत लेनी पड़ी.
• बीजेपी विधायक प्रवीण दरेकर के खिलाफ भी मुंबई बैंक घोटाले में शामिल होने के आरोप में मुंबई के रमाबाई आंबेडकर मार्ग पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है.
• बीजेपी नेता मोहित कंबोज के खिलाफ सांताक्रूज पुलिस थाने में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
• गैरकानूनी तरीक से फोन टेपिंग के मामले में भी ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत कई बीजेपी नेताओं की जांच चल रही है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी बयान दर्ज किया गया है.
केंद्र की बीजेपी सरकार बनाम महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की ये लड़ाई आने वाले दिनों में और तेज होने वाली है, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने हैं. बीएमसी पर अपना झंडा फहराने के लिये बीजेपी और शिवसेना दोनो एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. ऐसे में आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि जल्द ही महाराष्ट्र की राजनीति के कुछ और बड़े चेहरे सलाखों के पीछे नजर आएं.