नई दिल्ली/कोलकाता: कोलकाता में CBI के लोगों को हिरासत में लिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा. CBI ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि शारदा चिटफंड मामले की जांच में कोलकाता पुलिस अड़चन डाल रही है. इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव, DGP और पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. साथ ही, कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को निर्देश दिया जाना चाहिए CBI की पूछताछ में शामिल हों.


अर्ज़ी में क्या लिखा है


CBI ने अर्ज़ी में बताया है कि कल यानी 3 फरवरी को पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनके घर पहुंची 25 सीबीआई कर्मचारियों की टीम को कोलकाता पुलिस ने अंदर नहीं घुसने दिया. बल्कि उल्टा उन्हें ही हिरासत में ले लिया. CBI का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस मामले की जांच कर रही है. कोर्ट ने साफ तौर पर राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों को CBI से सहयोग करने के लिए कहा था. लेकिन कई बार पूछताछ के समन भेजने के बावजूद पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए.


याचिका में आगे लिखा गया है कि CBI को ये पता चला कि पुलिस कमिश्नर सबूतों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बात की जानकारी राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को दी गई. लेकिन उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की. इन सभी बातों के दस्तावेजी सबूत CBI के कोलकाता दफ्तर में उपलब्ध हैं. कल कोलकाता पुलिस के लोगों ने दफ्तर को चारों तरफ से घेर लिया। किसी अधिकारी को अंदर नहीं जाने दिया। जिसकी वजह से कोर्ट में नहीं पेश किए जा सके.


अर्जी में ये भी कहा गया है कि कोलकाता में CBI के जॉइंट डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव के घर पर रविवार शाम भारी संख्या में कोलकाता पुलिस के लोग पहुंच गए. श्रीवास्तव उस वक्त अपनी पत्नी और बेटी के साथ घर के अंदर थे. उन्होंने घबराहट में दरवाजा नहीं खोला. जिसके बाद पुलिस के लोगों ने उन्हें और उनके परिवार को अपमानित करने वाली बातें कहीं. इससे पूरा परिवार सदमे में है. इन परिस्थितियों में ये जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत मामले में दखल दे.


कोर्ट में क्या हुआ


सुबह 10:30 बजे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच जैसे ही बैठी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की अर्जी के बारे में कोर्ट को बताया. उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति बेहद असामान्य है। वहां CBI के लोगों को जांच से रोका जा रहा है। इतना ही नहीं वर्दी धारी पुलिस अधिकारी एक राजनीतिक पार्टी के तरफ से आयोजित धरने में जाकर बैठ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट को तुरंत मामले पर संज्ञान लेकर सुनवाई करनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने उनसे पूछा,"अभी क्या स्थिति है?" तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अधिकारियों को हिरासत से रिहा कर दिया गया है.


इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा, "हमने अभी-अभी आपकी अर्ज़ी देखी है. कल इस पर सुनवाई करेंगे।" हालांकि तुषार मेहता इस बात पर जोर देते रहे कि सुनवाई आज ही हो. उनका कहना था कि जिस तरह से राज्य में सबूतों को मिटाया जा रहा है, उसके मद्देनजर कोर्ट को आज ही सुनवाई करनी चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "सबूत इलेक्ट्रॉनिक हैं. उन्हें मिटाए जाने के बाद भी दोबारा ढूंढा जा सकता है. आप हमें इस बात के सबूत दीजिए कि कोई सबूत मिटाने की कोशिश कर रहा है. हम इतनी सख्त कार्रवाई करेंगे कि वो अपनी इस कोशिश के लिए पछताएगा."


पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CBI के सारी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि जानबूझकर राज्य के पुलिस अधिकारियों को परेशान किया जा रहा है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "आप अपने बचाव में यह सब बातें कह सकते हैं. लेकिन इसका मौका आपको कल मिलेगा. कल अपनी दलीलें रखिए." इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार सुबह के लिए तय कर दी.



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