नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने ऑडी, पोर्शे जैसी लक्ज़री गाड़ियों को बेचने वाली एक कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम वैभव शर्मा (31) है, जो जेनिका ग्रुप में सीएफओ के पद पर तैनात था. पुलिस का दावा है कि कंपनी झूठे दस्तावेजों और झूठे दावों के आधार पर एचडीएफसी बैंक से लगभग एक अरब रुपये से ज्यादा का लोन लिया. एचडीएफसी बैंक की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच करने के बाद पुलिस ने यह गिरफ्तारी की है. इस कंपनी के मालिकों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. दिल्ली पुलिस का दावा है कि आरोपी कंपनी ने एचडीएफसी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से लगभग 300 करोड़ की ठगी की है.


क्या है मामला?


आर्थिक अपराध शाखा के जॉइंट कमिश्नर ओपी मिश्रा का कहना है कि एचडीएफसी बैंक की तरफ से 2018 में शिकायत की गयी थी कि जेनिका कार्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जेनिका परफॉरमेंस कार्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रशपाल सिंह तोड़, मनधीर सिंह तोड़ और कंपनी के सीएफओ वैभव शर्मा ने फर्जीवाड़ा कर बैंक से लोन लिया है और लगभग 102 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. पुलिस ने इस बाबत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.


एचडीएफसी बैंक के आरोपों के मुताबिक इस कंपनी ने विदेशी हाई क्लास लक्ज़री ब्रांड की गाड़ियों को बेचने का कारोबार करने का दावा किया था. कंपनी के मुताबिक, डेमो कारों पर लोन लिया गया, मतलब वे गाड़ियां बगैर बैंक की जानकारी और एनओसी के बेची नहीं जा सकती. इसके अलावा आरोपियों ने अन्य बैंकों से भी कई करोड़ का लोन लिया हुआ था लेकिन जब एचडीएफसी बैंक से लोन लिया तो अपनी कमपनी की कर्जदारी काफी कम बताई. आरोपी कंपनी ने 2007 में लोन लिया था, जिसके बाद समय समय पर लोन या कहें कि वित्तयी सहायता लेती रही.


मार्च 2018 के बाद से डिफाल्टर बनती चली गयी आरोपी कंपनी


पुलिस के अनुसार एचडीएफसी बैंक ने अपनी शिकायत में बताया कि मार्च 2018 तक आरोपी कंपनी की तरफ से लोन की किश्तें आदि सही समय पर भरी गईं लेकिन उसके बाद कंपनी डिफॉल्टर जैसा बर्ताव करने लगी. एचडीएफसी बैंक ने जब अपने स्तर पर जांच की तो पता चला कि उनके साथ धोखा किया गया है. जून 2018 में कंपनी ने शोरूम का ऑडिट किया तो वहां पर 200 गाड़ियां होनी चाहिए थी लेकिन महज 29 गाड़ियां ही मिलीं. इसके अलावा डेमो की कारों को भी बेच दिया गया था, जबकि डेमो कार बगैर बैंक की एनओसी के बेची नहीं जा सकती थी. कंपनी ने बैंक के सामने दावा किया कि वह पिछले 4 साल से घाटे में चल रही है जबकि बैंक की इंटरनल जांच में पाया गया कि कंपनी की बैलेंसशीट के मुताबिक प्रॉफिट में थी. कंपनी ने अन्य बैंकों से भी लोन या वित्तीय सहायता ली हुई थी लेकिन उसकी जानकारी भी गलत दी गयी थी.


कंपनी के डायरेक्टर पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार


जॉइंट कमिश्नर ओपी मिश्रा ने बताया कि इस मामले में पुलिस आरोपी कंपनी के दोनों डायरेक्टर रशपाल सिंह और मनधीर सिंह को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. अब 17 दिसंबर 2020 को सीएफओ वैभव शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है.


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