Namami Gange: गंगा नदी की स्वच्छता के लिए नमामि गंगे अभियान चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार की ओर से नमामि गंगे कार्यक्रम को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है. अब भारतीय कॉमिक्स पुस्तक के किरदार चाचा चौधरी को नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभंकर घोषित किया गया है. इसके पीछे का मकसद बच्चों में गंगा को लेकर जागरूकता फैलाने से है. जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि अब चाचा चौधरी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट का शुभंकर (Mascot) बनाया गया है. बच्चों में गंगा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से गंगा के मसले पर चाचा चौधरी से जुड़े कार्टून और एनीमेटेड फिल्म भी बनाई जाएगी. इसके लिए डायमंड बुक्स के साथ नमामि गंगे मिशन ने करार किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 मई 2015 को गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए नमामि गंगे परियोजना को मंजूरी दी थी.
चाचा चौधरी को गंगा और अन्य नदियों के प्रति बच्चों में आचरणगत बदलाव लाने के उद्देश्य से सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभंकर घोषित किया गया है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और एनीमेटेड वीडियो बनाने एवं वितरित करने के लिए डायमंड टूंस के साथ हाथ मिलाया है. दरअसल, इस मिशन में जनसंपर्क के तहत किशोरों और युवाओं पर बल दिया जा रहा है जो बदलाव के वाहक (प्रेरक तत्व) हैं. एक सरकारी बयान के अनुसार इन कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और एनीमेटेड वीडियो की सामग्री इस उद्देश्य से तैयार की जाएगी, जिससे बच्चों में गंगा और अन्य नदियों के प्रति व्यवहारगत बदलाव आए. एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की अध्यक्षता में हुई उसकी 37वीं कार्यकारिणी बैठक में चाचा चौधरी को नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभंकर घोषित किया गया और उत्तर प्रदेश एवं बिहार की अहम परियोजनाओं पर चर्चा हुई .
वहीं गंगा नदी की स्वच्छता के लिए शुरू किए गए नमामि गंगे अभियान के तहत पिछले छह साल में मंजूर की गईं 347 परियोजनाओं में से करीब 50 प्रतिशत पर ही काम पूरा हो पाया है. वहीं इस अवधि में संबंधित अभियान के तहत 11,842 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जो स्वीकृत धनराशि का 40 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से प्राप्त 31 अगस्त 2021 तक परियोजनाओं के प्रगति संबंधी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. इस बारे में मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं का बड़ा हिस्सा परिचालन एवं रखरखाव से संबंधित है जिसके लिए 15 साल का अनुबंध है. ऐसे में रखरखाव का कार्य 15 साल तक चलेगा.’’ उन्होंने कहा कि इसमें जलमल संबंधी आधारभूत ढांचे के तहत 24 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं जिसमें एक बड़ा हिस्सा रखरखाव से संबंधित है.
रखरखाव का खर्च बढ़ेगा
मिश्रा ने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि यह राशि पांच वर्ष में खर्च नहीं होगी तथा धीरे-धीरे निर्माण का खर्च कम होता जाएगा और रखरखाव का खर्च बढ़ेगा.’’ एनएमसीजी के आंकड़ों के अनुसार, 31 अगस्त 2021 तक गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता से जुड़ी 347 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 30,255 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. मिशन के अनुसार अगस्त माह तक 167 परियोजनाओं पर काम पूरा हो गया है, 145 परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है और 28 परियोजनाओं पर निविदा की प्रक्रिया चल रही है. परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक अब तक मंजूर 30,255 करोड़ रुपये में से 11,842 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इस प्रकार मंजूर धनराशि का 40 प्रतिशत खर्च हुआ है और करीब 50 प्रतिशत परियोजनाओं पर ही काम ही पूरा किया जा सका है.
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