नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने आने वाले वक्त में कई चुनौतियां होंगी. क्या राहुल कांग्रेस को पुरानी ताकत वापस दिला पाएंगे? उनकी अगुआई में संगठन कितना मजबूत होगा? कांग्रेस को राहुल के नेतृत्व का कितना फायदा होगा और वो किस तरह मोदी का मुकाबला कर पाएंगे? ये वो सवाल हैं जो हर किसी की जुबां पर हैं. अध्यक्ष बनते ही राहुल के सामने गुजरात और हिमाचल के नतीजे भी होंगे. राहुल ने दोनों ही राज्यों में प्रचार की कमान संभाल रखी थी. ऐसे में अगर कांग्रेस को बढ़त हासिल होती है तो ये राहुल के लिए शुभ संकेत होंगे लेकिन नतीजों में पिछड़ने पर राहुल की परेशानी बढ़ सकती है.


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- राहुल गांधी ऐसे वक्त पर कांग्रेस की कमान संभालेंगे जब पार्टी सिमटकर सिर्फ 6 राज्यों तक रह गयी है.
- ऐसे में संगठन को दोबारा खड़ा करने की जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर होगी.
- बीजेपी को मात देने के लिए दूसरे पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावनाएं भी तलाशनी होंगी.
- अगले साल देश के 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमें एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य शामिल हैं.
- इन चुनावों में राहुल गांधी के नेतृत्व की परीक्षा होगी. राहुल के लिए इन राज्यों में जीत हासिल करना बेहद चुनौतीभरा होगा.


इन्ही चुनावों के नतीजों के आधार पर कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव का खाका तैयार करेगी ताकि बीजेपी को दोबारा में सत्ता में आने से रोका जा सके. उधर, कांग्रेस की कमान संभालने के बाद बीजेपी का राहुल पर हमला तेज होने की उम्मीद है. बीजेपी पहले ही राहुल की छवि नॉन सीरियस लीडर के तौर पर पेश करती रही है. राहुल के सामने इस छवि को तोड़ने के साथ ही विरोधियों को मात देने की चुनौती है.