नई दिल्ली: गुजरात में बीजेपी एक बार फिर से सत्ता पर काबिज हो गई है. पिछले 22 साल से वो गुजरात में सरकार चला रही है. लेकिन इस बार बीजेपी के सामने एक मजबूत विपक्ष होगा. तो ऐसे में सरकार चलाना क्या पहले जितना आसान हो पाएगा?


बीजेपी को 2002 में 127 सीटें मिली थीं, 2007 में 117 सीटें, 2012 में 109 सीटें और 2017 में 99 सीटें मिली हैं. हर बार बीजेपी की सीटें कम होती गई हैं. 2002 में बीजेपी अपने चरम पर थी जब उसे 49.9 फीसदी वोट मिले थे.


1985 में कांग्रेस को 55.6 वोट परसेंट के साथ 182 में से 149 सीटें मिली थीं. इसके बाद कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई और बीजेपी की ताकत बढ़ती रही. नरेंद्र मोदी के आने के बाद से ही गुजरात में कांग्रेस पीछे होती चली गई. लेकिन देखा जाए तो धीरे-धीरे ही सही वो अपनी ताकत बढ़ाती भी रही.


2007 में कांग्रेस को 59 सीटें मिली थीं. 2012 में 61 सीटें मिली और अब 2017 में कांग्रेस के पास 77 सीटें हैं. यानि इस बार बीजेपी का सामना मजबूत विपक्ष से होने वाला है.


अपने हिसाब से नीतियां बनाना आसान नहीं होगा
पहले विधानसभा में बीजेपी अपने हिसाब से नीतियां बना सकती थी क्योंकि सामने एक कमजोर विपक्ष था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. मजबूत विपक्ष के कारण बीजेपी को विधानसभा में गतिरोध का सामना भी करना पड़ेगा और सवालों के जवाब भी देने होंगे.


राज्य भर में होगा सामना
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस माहौल बनाने की पुरजोर कोशिश करेगी और पूरे गुजरात में जिला मुख्यालयों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन आदि कर मुखालफत करेगी. ऐसे में बीजेपी के लिए कठिनाई पैदा होगी और उसे हर सवाल का जवाब देना होगा.


ग्रामीण इलाकों में चुनौती
इस चुनाव में कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि बीजेपी ने शहरी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया है. ऐसे में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी कि ग्रामीण इलाकों पर पकड़ बनाई जाए. दूसरी ओर कांग्रेस कोशिश करेगी कि पकड़ को और मजबूत किया जाए ताकि अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पटखनी दी जा सके.


हर मुद्दे पर देना होगा जवाब
कमजोर विपक्ष को सत्तापक्ष आमतौर पर जवाब नहीं देता लेकिन इस बार बीजेपी को कानून व्यवस्था से लेकर लोकल मुद्दों तक पर घेरने का प्रयास करेगी कांग्रेस और बीजेपी को भी हर सवाल का जवाब देना होगा. सरकार के लिए अफसरशाही पर दवाब बनाना भी आसान नहीं रहने वाला है.