Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शुक्रवार (30 अगस्त) को बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. उनके बीजेपी में जाने को झारखंड में बड़े सियासी उठापटक के तौर पर देखा जा रहा है. इसकी वजह ये है कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबी लोगों में चंपाई की गिनती होती थी. ऐसे में उनका बीजेपी में जाना झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए बड़े झटके से कम नहीं है. हालांकि, अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी में जाकर वह अपनी राजनीति बचा पाएंगे या नहीं. 


दरअसल, इस साल की शुरुआत में हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किए जाने के बाद सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपने विश्वासपात्र चंपाई सोरेन को राज्य की कमान सौंपी. पांच महीने तक चंपाई ने झारखंड में सरकार चलाई. फरवरी में विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने खुद को हेमंत सोरेन पार्ट-2 तक कहा. मगर जब 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिल गई तो चंपाई ने 3 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद से ही वह बगावती सुर अपनाए हुए थे. 


चंपाई सोरेन ने पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप


शुरुआत में चंपाई सोरेन ने बगावती सुर तो अपनाए, लेकिन खुल कर अपनी बातें नहीं रखीं. फिर 18 अगस्त को उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपने साथ हो रही अनदेखी का मुद्दा उठा दिया. उन्होंने कहा कि सीएम रहते उनके साथ अपमान किया गया. उन्हें बैठकों की जानकारी तक नहीं दी गई. चंपाई ने कहा कि इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया. इसके कुछ दिनों बाद उनके बीजेपी में जाने की पुष्टि भी हो गई. 


क्या चंपाई सोरेन बीजेपी में जाकर बचा पाएंगे अपनी राजनीति? 


हालांकि, अभी सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या चंपाई सोरेन बीजेपी में जाने के बाद अपनी राजनीति को बचा पाएंगे. इस सवाल को लेकर राजनीतिक जानकारों में अलग-अलग मत है. मगर इस सवाल का जवाब जल्द ही मिल जाएगा, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे. अगर वह चुनाव जीत जाते हैं और अपने साथ कुछ विधायकों को जीताकर खेमा खड़ा कर लेते हैं तो उनकी राजनीति बची रहने वाली है और बीजेपी को इससे फायदा होगा. 


बीजेपी को फायदा पहुंचने की स्थिति में या फिर उसकी सरकार बनने पर चंपाई को लाभ जरूर होगा. कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर हेमंत सोरेन के बराबर खड़ा करने की कोशिश कर सकती है. इसके अलावा अगर उनका प्रभाव ज्यादा सीटों पर रहा और वो सीटें बीजेपी के खाते में आई तो उन्हें बड़ा मंत्रालय भी मिल सकता है. मगर ऐसा नहीं हुआ तो चंपाई का राजनीतिक करियर संकट में आ जाएगा. 


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