Chandigarh Mayor Election: क्या चंडीगढ़ मेयर का इस्तीफा BJP के गेम प्लान का हिस्सा, जानिए 20 दिन में कैसे बदल गया नंबर गेम?
मेयर चुनाव में धांधली के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी को फटकार लगाते हुए लोकतंत्र की हत्या करार दिया था.
Chandigarh Mayor Manoj sonkar Resign: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता मनोज सोनकर ने रविवार (18 फरवरी) को चंडीगढ़ के मेयर पद से इस्तीफा दे दिया. इन सबके बीच तीन आप पार्षद भी बीजेपी में शामिल हो गए. ये राजनीतिक घटनाक्रम मेयर चुनाव में धांधली के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले हुआ. माना जा रहा है कि मनोज सोनकर का इस्तीफा बीजेपी के गेम प्लान का हिस्सा है. दरअसल, AAP के तीन पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने के बाद से नंबर गेम में बीजेपी आगे निकल गई है. अगर मेयर चुनाव दोबारा होता है तो पलड़ा बीजेपी के पक्ष में झुक जाएगा.
दरअसल, 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर पद के लिए चुनाव हुए थे. इसमें आप और कांग्रेस को झटका लगा था और बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी के प्रत्याशी मनोज सोनकर को 16, आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे, जबकि 8 वोट अवैध घोषित किए गए थे. इसके बाद विपक्षी गठबंधन ने निर्वाचन अधिकारी पर मत पत्रों में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
इसके बाद कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 5 फरवरी को महापौर चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों में छेड़छाड़ की थी और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. कोर्ट ने यहा भी कहा था कि अधिकारी का कृत्य लोकतंत्र की 'हत्या और मजाक' है. इतना ही नहीं कोर्ट ने मत पत्रों और मतदान की कार्यवाही के वीडियो को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया था तथा 19 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई के दिन निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था.
20 दिन में कितनी बदल गई तस्वीर?
जहां सुप्रीम कोर्ट में सोमवार यानी 19 फरवरी को इस मामले में सुनवाई होनी है. वहीं, इन 20 दिनों में चंडीगढ़ नगर निगम में नंबर गेम पूरी तरह बदल गया है. दरअसल, 30 जनवरी को 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14 पार्षद थे, जबकि आप के 13. वहीं, कांग्रेस के 7 और अकाली दल का एक पार्षद था. आप और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. जबकि अकाली दल के एक पार्षद ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाला था. इसके अलावा बीजेपी सांसद किरण खेर ने भी मताधिकार का इस्तेमाल किया था. आप और कांग्रेस का दावा था कि उनके पास जीत के लिए पर्याप्त पार्षद थे लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने उनके पार्षदों के वोटों को रद्द कर दिया.
लेकिन अब 19 फरवरी आते आते पूरा नंबर गेम बदल गया है. आप के तीन पार्षद नेहा, पूनम और गुरुचरण काला बीजेपी में शामिल हो गए. अब बीजेपी के पास 17 पार्षद, एक अकाली दल के पार्षद का वोट और बीजेपी सांसद का वोट मिलाकर कुल 19 वोट हो गए हैं. जबकि उसे जीतने के लिए 18 वोट की जरूरत है. जबकि आप और कांग्रेस के पास 17 वोट बचे हैं. इतना ही नहीं सूत्रों का दावा है कि अभी आप और कांग्रेस के कुछ और पार्षद बीजेपी जॉइन कर सकते हैं. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट दोबारा चुनाव कराने का आदेश भी देता है, तो बीजेपी आसानी से इन चुनाव को जीत सकती है.