Chandigarh PGI: चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च (PGIMER) संस्थान  ने प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम से गैरहाजिर रहने वाली स्टूडेंट्स के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. पीजीआई ने 36 नर्सिंग स्टूटेंड्स के एक सप्ताह तक हॉस्टल से बाहर निकलने पर रोक लगा दी है. पिछले महीने प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' का 100वां एपिसोड प्रसारित किया गया था.


30 मई को प्रसारित हुए मन की बात कार्यक्रम को लेकर चंडीगढ़ पीजीआई प्रशासन ने एक लिखित आदेश जारी किया था. इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग के सभी नर्सिंग स्टूडेंट्स को भाग लेने को कहा गया था. 


छात्राओं के हॉस्टल से निकलने पर रोक


आदेश के बाद भी 36 छात्राओं ने मन की बात कार्यक्रम को सुनने के लिए शामिल नहीं हुई. इनमें तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रही 28 छात्राएं जबकि प्रथम वर्ष की 8 नर्सिंग छात्राएं थीं. 


इन नर्सिंग छात्राओं ने सत्र में शामिल न हो पाने के लिए कोई कारण नहीं बताया था, जिसके बाद पीजीआई प्रशासन ने इन सभी के एक सप्ताह तक हॉस्टल से बाहर निकलने पर रोक लगा दी.


सवाल उठे तो पीजीआई ने दी सफाई


छात्राओं पर रोक की जानकारी सामने आने पर यह मामला सुर्खियों में आ गया. इसके साथ ही मन की बात कार्यक्रम सुनने के लिए अनिवार्य किए जाने के फैसले पर भी सवाल उठे, जिसके बाद चंड़ीगढ़ पीजीआई प्रशासन ने अपनी सफाई पेश की. पीजीआई ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह निर्देश विशुद्ध रूप से उनके (छात्रों के) नियमित पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों के एक भाग के रूप में सक्षम बनाने के इरादे से दिया गया था, जिसमें सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं, विशेषज्ञों, पेशेवरों द्वारा उन्हें मूल्य शिक्षा प्रदान करने के लिए नियमित रूप से बातचीत, अतिथि व्याख्यान और चर्चा की व्यवस्था की जाती है.


संस्थान ने आगे कहा, पहले के एक एपिसोड में, प्रधान मंत्री ने अंग दान के नेक काम को बढ़ावा देने के लिए एक अंग दाता परिवार से बातचीत की थी, जो बेहद मनोबल बढ़ाने वाला था. यह ट्रांसप्लांट पीजीआई द्वारा ही किया गया था.


संस्थान ने कहा, चूंकि,  कुछ छात्र बिना कोई कारण बताए लेक्चर थियेटर में उनके लिए आयोजित कार्यक्रम से अनुपस्थित रहे, इसलिए कॉलेज के अधिकारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की.


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