(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चंडीगढ़ छेड़खानी केस: 5 CCTV के फुटेज में पीछा करता दिखा BJP नेता का आरोपी बेटा
पीड़ित लड़की वर्णिका ने अपनी शिकायत की शुरूआत इसी बात से की है कि लड़कों ने न सिर्फ उसके साथ छेड़छाड़ बल्कि उसका अपहरण करने की भी कोशिश की थी.
चंडीगढ़: चंडीगढ़ छेड़खानी केस में पुलिस को पांच कैमरों की फूटेज मिली है, जिसमें बीजेपी नेता सुभाष बराला का बेटा विकास बराला पीड़ित लड़की वर्णिका का पीछा करता हुआ दिख रहा है. इससे पहले पुलिस सूत्रों से खबर मिली थी कि वारदात वाली जगह के सीसीटीवी कैमरे खराब होने की आशंका है. इस मामले में पुलिस पर भी आरोप लग रहे हैं कि पुलिस ने बीजेपी नेता के बेटे के खिलाफ कमजोर धाराओं में केस दर्ज किया है. ऐसे में सवाल ये कि क्या बेटी की बजाए बीजेपी नेता के बिगड़ैल बेटे को बचाया जा रहा है?
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खड़े हो रहे हैं कई बड़े सवाल!
- पुलिस ने कमजोर धाराएं लगाई, जिसकी वजह से आरोपी विकास बराला को जमानत मिल गई.
- पूरे मामले पर पुलिस के बदलते बयान और मीडिया के सवालों से अधिकारी बच रहे हैं.
- खट्टर सरकार ने आरोपी विकास के नेता पिता सुभाष बराला का बचाव किया है.
पुलिस पर केस कमजोर करने के आरोप
जिस रात ये घटना हुई तब पुलिस ने आरोपी विकास बराला को गिरफ्तार तो किया लेकिन धाराएं ऐसी लगाई जिससे उसे आसानी से जमानत मिल गई. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 354 D यानी पीछा करने और 341 यानी किसी को जबरन रोकने की कोशिश जैसी हल्की और आसानी से जमानत मिल सकने वाली धाराएं लगाईं.
पीड़ित लड़की वर्णिका ने अपनी शिकायत की शुरूआत इसी बात से की है कि लड़कों ने न सिर्फ उसके साथ छेड़छाड़ बल्कि उसका अपहरण करने की भी कोशिश की थी.
पुलिस क्यों बदल रही है बयान ?
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पूरे मामले में पुलिस के रुख पर सवाल उठने की एक बड़ी वजह पुलिस अधिकारियों के बदलते बयान हैं. चंडीगढ़ के डीएसपी सतीश कुमार ने कुछ घंटों के अंदर ही दो बातें कहीं. पहले कहा कि मामले में गैरजमानती धाराएं जोड़ ली गई हैं. हालांकि बाद में वह इस बयान से पलट गए.
खट्टर सरकार कर रही है नेता का बचाव ?
इस मामले के सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आरोपी के पिता बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला पर कार्रवाई करने की मांग कर रही है. लेकिन मुख्यमंत्री ने साफ इनकार कर दिया है.
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हो सकता है कि बीजेपी सुभाष बराला का इस्तीफा लेकर जाट समुदाय को नाराज करने से डर रही हो. वजह जो भी हो. एक तरफ नेतापुत्र को बचाने के आरोप लग रहे हैं, दूसरी ओर वर्णिका की लड़ाई को पूरे देश से समर्थन मिल रहा है.