नई दिल्ली: चांदनी चौक में जिस हनुमान मंदिर को अतिक्रमण कह कर हटा दिया गया था, वो फिर से बन गया है. इस बार जहां पहले मंदिर था, उससे कुछ कदम की दूरी पर सड़क के बीच बने पेवमेंट पर बनाया गया है. वहीं, इस बार मंदिर की दीवार ईंट-पत्थर की नहीं, बल्कि स्टेनलेस स्टील की है. मंदिर के अंदर हनुमानजी की वही पुरानी मूर्ति भी स्थापित की गई और पूजा-अर्चना भी हुई.


चांदनी चौक के स्थानीय लोगों के मुताबिक रातों-रात स्टील का स्ट्रक्चर बनाकर मूर्तियों को स्थापित भी कर दिया गया. मंदिर बनने के बाद से सुबह से लोग पूजा करने पहुंच रहे हैं. मंदिर के पुजारी अशोक भारद्वाज के मुताबिक सौंदर्यीकरण के कार्यक्रम के अनुरूप मंदिर बन गया है. इसकी स्थापना रात को हुई है. उन्होंने ये भी साफ कहा कि मूर्ति वही है, जो पहले मंदिर में थी. वहीं, मंदिर का स्टील स्ट्रक्चर कैसे आया? कहां से बन गया? इसपर वो कुछ नहीं बोले. इसके अलावा उन्होंने साफ कहा कि मंदिर पहले 10 फिट दूर सड़क किनारे था, लेकिन अब सौंदर्यीकरण के हिसाब से बीच में आ गया.


स्थानीय लोगों के मुताबिक ये चमत्कार है. पहले जब मंदिर हटा, तब लोगों को सुबह पता चला और अब मंदिर वापस आ गया तो भी सुबह लोगों को पता चला. किसने? कैसे? कहां से ये मंदिर आया, किसी को नहीं पता. मंदिर दोबारा स्थापित होने की खबर के बाद से लोग लगातार मंदिर में दर्शन करने पहुंच रहे हैं. मंदिर पर माथा टेकने वालों में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर जयप्रकाश शामिल थे. दोनो ने पूजा-अर्चना की. जब एबीपी न्यूज़ ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर से पूछा कि मंदिर कैसे वापस आया? तो उनका जवाब साफ था कि मंदिर बीच में नहीं है. उनके मुताबिक जैसे रातोंरात हटा था, उसी तरह आया.



आपको बता दे दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत प्राचीन हनुमान मंदिर को हटाये जाने के मामले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप हुआ था और काफी बवाल हुआ था. आम आदमी पार्टी का आरोप था कि बीजेपी शासित एमसीडी ने कोर्ट में हलफनामा दायर करके यह बात कही है कि यह मंदिर अतिक्रमण की जमीन पर बना हुआ है और हम इस हनुमान मंदिर को तोड़ना चाहते हैं. जिस पर कोर्ट ने उन्हें मंदिर तोड़ने की अनुमति दी थी. वहीं, बीजेपी का कहना था कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में यह लिख कर दिया कि नगर निगम और पुलिस उन्हें सहयोग नहीं कर रही है और उनके अधिकारी मंदिर तोड़ने में बाधा डाल रहे हैं. इस सिफारिश पर हाई कोर्ट ने नगर निगम और पुलिस को निर्देशित किया.


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