TDP-BJP Relation: लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश में राजनीतिक समीकरण दिलचस्प होता जा रहा है. चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर से पुरानी सहयोगी बीजेपी के साथ एनडीए खेमे में आने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अब गेंद बीजेपी के पाले में है. बीजेपी के फैसले पर ही निर्भर करेगा कि नायडू की पार्टी टीडीपी किस खेमे में जाती है. नायडू की एनडीए में वापसी से हिचक के पीछे राज्य में सत्ताधारी और टीडीपी की विरोधी वाईएसआर कांग्रेस के साथ बीजेपी के रिश्ते हैं. दरअसल, टीडीपी बनाम वाईएसआरसीपी का ये झगड़ा अब एनडीए को नुकसान पहुंचा रहा है.


इसी साल जून में चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सियासी पारा चढ़ गया था. कयास लगने लगे कि नायडू जल्द ही एनडीए के साथ आ सकते हैं, लेकिन जब एक महीने बाद जुलाई में पीएम मोदी ने एनडीए के सभी घटक दलों की बैठक बुलाई तो नायडू इसमें नहीं पहुंचे. इसने एक बार फिर शंकाओं को बल दिया कि अभी भी सब ठीक नहीं है.


बीजेपी और वाईएसआरसीपी का रिश्ता क्या है?


चंद्रबाबू नायडू के एनडीए से अभी तक न जुड़ पाने के पीछे जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी से बीजेपी के रिश्तों को वजह बताया जाता है. हालांकि, बीजेपी और वाईएसआरसीपी के बीच कोई औपचारिक गठबंधन नहीं है, लेकिन दोनों ने एक दूसरे के साथ अच्छे संबंध बना रखे हैं. हाल ही में जब संसद सत्र के दौरान केंद्र सरकार को राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर सबसे ज्यादा जरूरत थी तो वाईएसआरसीपी ने उसका साथ दिया था. 


ये सिर्फ एक उदाहरण भर है, ऐसे कई मौके आए हैं जब जगन की पार्टी ने केंद्र को सपोर्ट किया है. दोनों के बीच ये समीकरण 2019 के बाद से ही बने हुए हैं, जब लोकसभा चुनाव के पहले टीडीपी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था.


नायडू कर रहे एनडीए में वापसी की कोशिश


लेकिन राज्य की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे नायडू ने एक बार फिर केंद्र में बीजेपी नेतृत्व के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की है. दरअसल राज्य में अगले साल लोकसभा के साथ राज्यसभा के चुनाव भी हैं और नायडू की प्राथमिकता भी आंध्र प्रदेश ही है. 15 अगस्त को विशाखापत्तनम में एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि 2024 के लिए मेरी भूमिका स्पष्ट है. मेरी प्राथमिकता आंध्र प्रदेश है. ये मेरा सबसे बड़ा एजेंडा है.


इसी दौरान जब उनसे एनडीए में शामिल होने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि इस बारे में बात करने का ये सही समय नहीं है. सही समय आने पर वे बात करेंगे. कहीं ये सही समय का इशारा बीजेपी और वाईएसआरसीपी के एक दूसरे से रिश्ते को लेकर तो नहीं है?


नायडू ने रख दी है शर्त


टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ये वाईएसआरसीपी के साथ बीजेपी का अनौपचारिक गठबंधन ही है जो टीडीपी को एनडीए के साथ आने से रोक रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, नायडू ने साफ कर दिया है कि वे एनडीए के साथ तभी जुड़ेंगे जब बीजेपी अपने रिश्ते वाईएसआरसीपी के साथ तोड़ ले.


फिलहाल बीजेपी और टीडीपी के बीच बातचीत के लिए अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण पुल बने हुए हैं, जिनकी जन सेना पहले ही बीजेपी के साथ आ चुकी है.


बीजेपी के लिए जरूरी है आंध्र में गठबंधन


आंध्र प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में बीजेपी अकेले मैदान में थी और उसका खाता भी नहीं खुला था. उत्तर भारत के हिंदी बेल्ट में बीजेपी पहले ही अपने उठान पर है, ऐसे में उसे अपनी सीटें बढ़ाने के लिए दक्षिण भारत की तरफ नजर करनी होगी, लेकिन मुश्किल ये है कि पार्टी के हाथ से उसका गढ़ कर्नाटक निकल चुका है. केरल, तमिलनाडु में भी वो मजबूत नहीं है. ऐसे में अगर आंध्र प्रदेश में भी गठबंधन नहीं होता है और नायडू विपक्षी खेमे में जाते हैं तो एनडीए के लिए झटका होगा.


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