बेंगलुरु: देश के दूसरे चंद्रमिशन के प्रक्षेपण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि 'चंद्रयान -2' अंतरिक्ष यान अच्छी स्थिति में है और सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने सशक्त रॉकेट जीएसएलवी-एमके... -एम1 के माध्यम से 'चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण किया था जिसका लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर को उतारना है. इस क्षेत्र में अब तक कोई अध्ययन नहीं हुआ है. तीन मोड्यूल- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर वाला 3850 किलोग्राम वजनी 'चंद्रयान-2' को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाया गया. अगले कुछ हफ्तों में 'चंद्रयान-2' चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने से पहले महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरेगा.
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ''चंद्रयान-2 अच्छी स्थिति में है. वह सही दिशा में बढ़ रहा है.'' उन्होंने कहा कि इस समय इस मिशन पर किसी अपडेट की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ''वैसे तो एक छोटी सी उपलब्धि है जिसे हम अभी नहीं बतायेंगे. लेकिन जब सही समय आएगा तो उसकी सूचना सामने रखेंगे.'' देश के महत्वाकांक्षी निम्न लागत अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत एक लंबी छलांग लगाते हुए इसरो ने सबसे जटिल और अपने प्रतिष्ठित मिशन को हाथ में लिया है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर रोवर को उतारना है.
यदि यह मिशन सफल रहा तो उससे भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के रॉकेट से अलग होने के तत्काल बाद इस अंतरिक्ष यान का सौर पैनल अपने आप तैनात हो गया और बेंगलुरु में इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमान नेटवर्क ने इस अंतरिक्ष यान का नियंत्रण सफलतापूर्वक अपने हाथ में ले लिया.
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