श्रीहरिकोटा: इसरो का चंद्रयान-टू मिशन तकनीकी खराबी की वजह से टल गया है. चंद्रयान-2 को रात 2.51 पर जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट से भेजा जाना था, लेकिन 56 मिनट 24 सेकेंड पहले इसमें तकनीकी खामी का पता इसरो को चला और उसने लॉन्चिंग को टाल दिया. अब प्रक्षेपण की नई तारीख 10 दिन बाद तय होगी.


10 दिनों में तय होगा आगे का शेड्यूल


इसरो का कहना है कि क्रायोजेनिक ईंधन भरते वक्त खामी का पता चला जिससे काउंटडाउन को रोक दिया गया. इसरो के मुताबिक अब पूरे ईंधन को टैंक से खाली किया जाएगा और फिर जांच की जाएगी, जिसमें करीब 10 दिनों का वक्त लगेगा. इसके बाद ही आगे का शेड्यूल बताया जाएगा.


स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर 'विक्रम' और दो पेलोड रोवर 'प्रज्ञान' में हैं. पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं. लैंडर 'विक्रम' का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम 'प्रज्ञान' का मतलब संस्कृत में 'बुद्धिमता' है.


'चंद्रयान-2का जब प्रक्षेपण होगा तो क्या होगा?


आने वाले समय में जब चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होगा तो ये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे चांद के बारे में समझ सुधारने में मदद मिलेगी, जिससे ऐसी नयी खोज होंगी. जिनका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा. तीन चरणों का 3,850 किलोग्राम वजनी यह अंतरिक्ष यान ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ उड़ान भरेगाय


'चंद्रयान-2' की लागत करीब  978 करोड़ रुपये है. इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले 'चंद्रयान-2' के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा.


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