Chandrayaan-3 Update: भारत अब चांद पर पहुंचने से कुछ ही कदम की दूरी पर है, मिशन चंद्रयान-3 हर दिन गुजरने के साथ ही चांद के और ज्यादा करीब पहुंच रहा है. गुरुवार 17 अगस्त को विक्रम लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया. जिसके बाद अब पूरे देश और ISRO साइंटिस्ट्स को लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार है. बताया गया है कि आने वाले दिन काफी महत्वपूर्ण हैं, जिनमें लैंडर की स्पीड को कम किया जाएगा और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयारी होगी.
कब चांद पर लैंड होगा रोवर?
प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल में लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ शामिल हैं, जो अब एक ऐसी कक्षा में उतरने के लिए तैयार हैं जिससे वो चंद्रमा की सतह के और करीब पहुंचेंगे. इसके बाद 23 अगस्त को वो घड़ी आएगी जब लैंडर चांद की सतह को छू लेगा. पिछली बार की तुलना में इस बार चंद्रयान-3 में इस तरह के बदलाव किए गए हैं कि सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो जाए. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शाम 5.47 बजे ये ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश होगी.
डीबूस्टिंग का प्रोसेस होगा शुरू
लैंडर के अलग होने के बाद इसरो की तरफ से इसकी जानकारी दी गई. इसरो ने ट्विटर पर बताया कि "लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. शुक्रवार 18 अगस्त को शाम करीब 4 बजे इसके डीबूस्टिंग (गति कम करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे आने की उम्मीद है.’’
2019 में नहीं हुई थी सॉफ्ट लैंडिंग
राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने ये भी बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल अपनी वर्तमान कक्षा में कई महीनों और सालों तक घूमता रहेगा और कई महत्वपूर्ण जानकारियां देगा. बता दें कि चंद्रयान-3 से पहले भेजा गया चंद्रयान-2 साल 2019 में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में असफल रहा था. जिसके बाद अब चंद्रयान-3 को भेजा गया है. जिसका मकसद चांद की सतह पर सुरक्षित ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने, चांद पर रोवर के घूमने और वैज्ञानिक प्रयोग करने का है. करीब 600 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को चांद के दक्षिणी ध्रुव तक की यात्रा पर रवाना किया गया था.