Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के बाद से भारत अंतरिक्ष मिशन और अंतरग्रहीय मिशनों के लिए ये इसरो के लिए लंबी छलांग होगी. चंद्रयान-3 मिशन को लेकर भारतीयों में काफी उत्साह है. आइए जानते हैं चंद्रयान चांद की सतह पर उतरने के बाद क्या काम करेगा.
चंद्रयान के तीन हिस्से हैं- पहला प्रोप्लशन मॉड्यूल है, जो लैंडर को चांद की कक्षा तक लेकर गया है. दूसरा लैंडर है जिसका नाम विक्रम है ये चांद की सतह पर उतरेगा और तीसरा हिस्सा है प्रज्ञान जो कि रोवर है, ये चांद की सतह पर खोजबीन करेगा.
चंद्रयान का वजन 3,900 किलोग्राम
चंद्रयान को जब धरती से अंतरिक्ष में भेजा गया तब लैंडर और रोवर सहित उसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम था. जबकि लैंडर का वजन 1,500 किलोग्राम, रोवर का वजन 26 किलोग्राम है. धरती से चंद्रयान के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं. जिसमें प्रोप्लशन मॉड्यूल में एक पेलोड (स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैविटेवल प्लैनेट अर्थ) भेजा गया. इसके अलावा लैंडर में चार पेलोड हैं, जिनके नाम हैं RAMBHA, ChaSTE, ILSA और LRA.
- RAMBHA पेलोड चांद की सतह पर प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके बदलावों को मापने के लिए भेजी गई है.
- ChaSTE पेलोड चांद के दक्षिण ध्रुवीय के इलाके के आसपास के तापीय गुणों की जानकारी देगा.
- ILSA के जरिए लैंडिंग साइट के जमीन की कंपन और चांद के परत की रूपरेखा तैयार करेगा.
- LRA पेलोड के जरिए चांद की गतिशीलता को समझने में मदद मिलेगी.
पोलोड इन-सीटू डाटा इकट्ठा करेंगे
इन पेलोड्स के अलावा रोवर प्रझान के साथ भी 2 पोलोड भेजे गए हैं. इनका नाम है- LIBS और APXS. LIBS पोलोड जरिए चांद पर मौजूद रसायन और खनिज का अनुमान लगाना है. APXS पोलोड की मदद से चांद लैंडिंग प्वाइंट के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचनाओं का अध्ययन करना है. इसरो के मुताबिक सारे पोलोड इन-सीटू डाटा इकट्ठा करेंगे. इन-सीटू के जरिए जुटाई जाने वाली जानकारी में सैंपल के जरिए स्टडी की जाएगी.
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