Chandrayaan 3: चांद पर लैंडिंग के दो दिनों बाद ही रोवर में आ गई थी बड़ी खराबी, जानें फिर ISRO ने क्या किया
Chandrayaan-3 : चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान में लगे एक महत्वपूर्ण पेलोड ने काम करना बंद कर दिया था. हालांकि बाद में इसे दुरुस्त कर लिया गया.
Chandrayaan-3 Technical Glitch: धरती के सबसे करीबी खगोलीय पिंड चांद के दक्षिणी ध्रुवीय हिस्से पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 ने सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था. इसकी तकनीकी सफलता का परचम पूरी दुनिया में लहराया था. इस बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई है जो देश को हैरान करने वाली है. बहुत कम लोगों को पता है की लैंडिंग के दो दिनों के अंदर ही इसमें एक बड़ी तकनीकी समस्या आ गई थी, जिसकी वजह से कंट्रोल रूम में बैठे वैज्ञानिकों के हाथ पांव फूल गए थे.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 अगस्त को चांद पर लैंडर विक्रम के उतरने और उसमें से रोवर प्रज्ञान के बाहर निकालने के ठीक 2 दिन बाद 25 अगस्त को रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) ने कुछ देर के लिए काम करना बंद कर दिया था.
एक्स-रे उपकरण का कमांड हो गया था बंद
इस उपकरण पर निगरानी रखने की मुख्य जिम्मेदारी वैज्ञानिक संतोष बडावले की थी. उन्होंने कहा है, "जब उपकरण में काम करना बंद किया तो तुरंत इसके कारणों का पता लगाया गया. रोवर सेफ्टी संसिडेरेशन को देर से जोड़ने के कारण अनजाने में APXS का कमांड बंद हो गया था. तुरंत इसे दुरुस्त किया गया जिसके बाद उपकरण ने चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों का सफलतापूर्वक इन-सीटू जांच शुरू की.
वडावले ने उन रिपोर्टों पर भी बात की जिनमें दावा किया जा रहा है कि मिशन चंद्रयान-3 पूरी तरह सफल नहीं रहा, क्योंकि 22 सितंबर को चांद पर दोबारा सूर्योदय के बाद लैंडर-रोवर ने दोबारा काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि मिशन पूरी तरह से सफल रहा क्योंकि इसे चांद पर 14 दिनों तक काम करने के लिए ही बनाया गया था.
चंद्रयान ने किया है शानदार काम
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम को चांद के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इसकी वजह से चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. चंद्रयान के प्रज्ञान पर लगे पेलोड्स ने चांद की सतह पर सैंपल विश्लेषण कर काफी महत्वपूर्ण डाटा धरती पर भेजा है, जिसमें चांद की मिट्टी में ऑक्सीजन, सल्फर जैसे बहुमूल्य खनिजों की मौजूदगी के बारे में पता चला है. लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिन यानी धरती के 14 दिनों तक चांद की सतह पर काम करने के लिए डिजाइन किया गया था.
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