Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान-3 का 13 जुलाई को होगा प्रक्षेपण, ISRO ने बताया शेड्यूल
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने भारत के चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' के लॉन्च होने की तारीख बताई है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बहुप्रतीक्षित चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' के लॉन्च होने की एक अनुमानित तारीख बताई है. अधिकारियों ने बुधवार (28 जून) को कहा कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 13 जुलाई को दोपहर बाद 2:30 बजे किया जाएगा.
वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, ''वर्तमान में चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान पूरी तरह से इंटिग्रेटेड (एकीकृत) है. हमने परीक्षण पूरा कर लिया है... हम अभी रॉकेट को तैयार कर रहे हैं. आज रॉकेट तैयार हो जाएगा.''
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 को रॉकेट के साथ लगाया जाएगा और फिर लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि 12 से 19 जुलाई के बीच चंद्रयान तीन लॉन्च हो सकता है, लेकिन सबसे नजदीक की तारीख तय की जाएगी.
चंद्रयान लॉन्च की तारीख को लेकर और क्या बोले इसरो प्रमुख?
इसरो प्रमुख ने कहा कि अगर कोई तकीनीकी समस्या नहीं आती है तो हो सकता है कि 12, 13 या 14 को लॉन्च किया जाए. उन्होंने यह भी कहा, ''सभी परीक्षण पूरे होने के बाद हम सटीक तारीख बताई जाएगी.'' एस सोमनाथ ने कहा कि लॉन्च की तारीख को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं लेकिन फाइनल डेट इसी दरमियान होगी.
#WATCH | ISRO chief S Somnath says, "Currently the Chandrayaan 3 spacecraft is fully integrated. We have completed the testing...Currently, the window of opportunity for launch is between 12-19th July...We will announce the exact date after all the tests are completed..." pic.twitter.com/FVT8uHkJVU
— ANI (@ANI) June 28, 2023
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा लॉन्च
अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान मार्क-3 के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रणोदक मॉड्यूल ‘लैंडर’ और ‘रोवर’ को 100 किलोमीटर तक चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा. इसमें, चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ध्रुवीय मापन का अध्ययन करने के लिए एक ‘स्पेक्ट्रो-पोलरमेट्री’ पेलोड भी जोड़ा गया है.
बता दें कि इससे पहले 7 सितंबर 2019 को भारत के दूसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-2' की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी. इसे चंद्रमा की सतह के दक्षिण ध्रुव के पास उतरना था. यह जब चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था तब लैंडर विक्रम से उसका संपर्क टूट गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस समय ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने के लिए बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय में पहुंचे थे.
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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