Chandrayaan 3 Launch: साल 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान सीरीज के बारे में एक अनोखी जानकारी सामने आई है और उसका तमिलनाडु से संबंध है. तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम. वनिता के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद, अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी. वीरमुथुवेल तीसरे मिशन की निगरानी कर रहे हैं, जिसे शुक्रवार 14 जुलाई को एलवीएम3-एम4 के जरिए चंद्रमा की ओर रवाना किया जाएगा. 


चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का मकसद
एस. सोमनाथ की अध्यक्षता में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मकसद उन विशिष्ट देशों की लिस्ट में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है. शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है. 


वीरमुथुवेल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
वीरमुथुवेल (46) वर्तमान में सोमनाथ के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक हैं. तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एक परिदत परिवार से नाता रखने वाले वाले, वीरमुथुवेल प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास) के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने पीएचडी भी कर रखी है. चंद्र मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में वीरमुथुवेल ने वनिता का स्थान लिया है, जो तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन के नेतृत्व में चलाए गए चंद्रयान -2 मिशन की परियोजना निदेशक थीं. 


पहले चंद्रयान मिशन का भी तमिलनाडु से नाता
वनिता इसरो के इतिहास में इस पद काबिज हुई पहली महिला थीं. पहले चंद्रयान मिशन का नेतृत्व करने के बाद मयिलसामी अन्नादुरई को ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ की पदवी दी गई. वह भी तमिलनाडु से नाता रखते थे. दिलचस्प तथ्य यह है कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने भारत के रॉकेट कार्यक्रम का नेतृत्व किया, वह भी तमिलनाडु के रामेश्वरम से थे. इसीलिए भारत के मिशन मून का तमिलनाडु से एक अनोखा रिश्ता है. 


(इनपुट- भाषा)


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