Chandrayaan 3 News: चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब पहुंच गया है. रविवार (20 अगस्त) की तड़के सुबह 2 से 3 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रमा के पास पहुंचा. 23 अगस्त की शाम तक विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग होने की संभावना व्यक्त की जा रही क्योंकि अब महज 25 किलोमीटर की दूरी बची है. इससे पहले एक गुड न्यूज सामने आई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पहले ये माना जा रहा था कि प्रोपल्शन मॉड्यूल 3 से 6 महीने ही काम कर पाएगा लेकिन अब इसके कई सालों तक काम करने की संभावना व्यक्त की गई है. दरअसल, प्रोपल्शन मॉड्यूल में 150 किलोग्राम से ज्यादा ईंधन अभी बचा हुआ है. टीओआई से बातचीत में इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा है कि इसमें काफी ईंधन बचा हुआ है, जो उम्मीद से भी ज्यादा है.
इतना ईंधन कैसे बच गया?
इसरो चीफ ने बताया कि अभी 150 किग्रा. से भी ज्यादा ईंधन बचा हुआ है. 14 जुलाई को लॉन्चिंग के समय प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 किग्रा ईंधन भरा गया था. 15 जुलाई से 17 अगस्त के बीच उसने धरती की कक्षा में 5 मैनुअर पूरे किए. इसके बाद चांद की कक्षा में भी 5 प्रक्रियाएं पूरी की गईं, फिर ये लैंडर से अलग हुआ.
इतना ईंधन बचे रहने के पीछे की वजह ये है कि चांद के रास्ते में सभी चीजें नॉर्मल रहीं. किसी भी तरह की आपात स्थिति या किसी फेरबदल की जरूरत नहीं पड़ी. इसी में ईंधन ज्यादा खर्च हो जाता है.
लैंडिंग के समय होगी ये चुनौती
इसरो चेयरमैन ने बताया कि चंद्रयान के लैंडर मॉड्यूल को चांद पर लैंड कराने में सबसे बड़ी चुनौती उसे लैंडिंग से पहले मोड़ना है. उन्होंने बताया कि जब लैंडर चांद की सतह पर लैंड करने के लिए उतरेगा तो वह क्षैतिज अवस्था में होगा लेकिन उसे लैंडिंग से पहले 90 डिग्री सेल्सियस पर मोड़कर लंबवत करना होगा. अगर यह सफलतापूर्वक हो गया लैंडर की चांद पर सफल लैंडिंग के चांस बढ़ जाएंगे.
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